शाहरुख खान ने इस साल की शुरआत ‘पठान’ से ऐसी की कि बॉक्स ऑफिस पर तबाही मचा दी. लगभग आधा साल बीत जाने के बाद शाहरुख अब ‘जवान’ बनकर लौटे हैं. ‘पठान’ की सफलता पर कई लोगों ने कहा कि ‘स्टार पावर’ चल गया. लेकिन कहते हैं न काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती और बेहद ‘इंटेलीजेंट’ एक्टर माने जाने वाले शाहरुख ने ‘जवान’ के जरिए ये साबित कर दिया है कि उन्हें ‘मास एंटरटेनर चुनना आता है.’ अपनी इस साल की दूसरी रिलीज के जरिए शाहरुख एक ऐसी फिल्म लाए हैं तो सही मायने में जनता की मसाला एंटरटेनर है. शाहरुख खान, नयनतारा और विजय सेतुपति स्टारर इस फिल्म के जरिए साउथ के निर्देशक एटली ने एक बढ़िया फिल्म सामने परोसी है, जिसमें सबकुछ सिर्फ शाहरुख खान के कंधों पर नहीं हैं, बल्कि कहानी का करिश्मा भी आपको खूब देखने को मिलेगा.
‘जवान’ की कहानी है, विक्रम राठौड़ की जो सेना की स्पेशल टास्क फॉर्स का जवान है. लेकिन यही विक्रम राठौड़ मुंबई की एक मेट्रो ट्रेन को हाइजैक करता है और सरकार से अपनी मांगे मंगवाता है. विक्रम राठौड़ अकेला नहीं है बल्कि उसके साथ 6 लड़कियां भी हैं जो उसकी इस क्राइम में मदद करती हैं. विक्रम राठौड़ के सामने हैं देश के सबसे बड़े आर्म्स डीलरों में से एक काली गायकवाड़, जो सेना के जवानों को बंदूकें देता है. काली एक बड़ा बिजनेसमैन है और विक्रम राठौड़ से उसकी पुरानी दुश्मनी है. विक्रम राठौड़ का बेटा है आजाद और इन दोनों ही किरदारों में शाहरुख खान नजर आए हैं. जी हां, शाहरुख इस फिल्म में आपको डबल रोल में नजर आने वाले हैं. अब कहानी में ये लेडी आर्मी क्यों है, विक्रम राठौड़ दुश्मन क्यों बन गया है और आजाद क्या कर रहा है, इन सारे सवालों के जवाब के लिए आपको सिनेमाघरों में जाना होगा.
कहानी का करिश्मा बांधे रखेगा
सबसे पहले बात करें फिल्म के फर्स्ट हाफ की जो बेहद कसा हुआ और बहुत सारे सरप्राइज से भरा हुआ है. फिल्म में कई सारे ट्विस्ट ऐंड टर्न हैं और यही वजह है कि आपको कहीं भी कहानी में बोरियत महसूस नहीं होगी. पहले ही सीन से फिल्म आपको बांधे रखती है और फिल्म के हर हिस्से में ऐसे सरप्राइज हैं जो आपके भीतर ‘अब आगे क्या होगा’ वाली उत्सुकता को बनाए रखते हैं. फिल्म सिर्फ एक कहानी में नहीं चलती, बल्कि छोटे-छोटे हिस्से में कई कहानियां हैं. एक सवाल जो फिल्म की रिलीज से पहले सामने आया था कि कई सारे कलाकारों को आप कब देखेंगे और कब मिस कर देंगे ये पता ही नहीं चल पाएगा. क्योंकि इस फिल्म में बहुत सारे एक्टर्स हैं. लेकिन ‘जवान’ में इन एक्टर्स के साथ ही दीपिका पादुकोण और संजय दत्त जैसे सरप्राइज फेक्टर भी हैं और सभी को पर्दे पर देखने में मजा आता है.
एक्शन-बीजीएम का धमाका
अगर आप ‘पठान’ में शाहरुख का एक्शन देखकर खुश हैं तो बता दूं कि वो तो सिर्फ टीजर था, ‘पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त’ और वो पिक्चर आपको जवान में दिखेगी. फिल्म के एक्शन सीक्वेंस बेहतरीन हैं. वहीं बैकग्राउंड म्यूजिक के एटली मास्टर हैं. उन्हें अच्छे से पता है कि यही वो सबसे अहम चीज है जो सिनेमाहॉल में बैठे दर्शक के मूड को बना और बिगाड़ सकती है. निर्देशक एटली मासी एंटरटेनर फिल्मों के बादशाह हैं और उन्होंने ‘जवान’ में भी यही बादशाहत दिखाई है. फिल्म का एक्शन हो या फिर उसकी कहानी और इमोशनल सीन्स को दर्शाने का तरीका, साउथ की फिल्मों का अपना एक रॉ-ऐंड-रस्टिक स्टाइल है, जो उत्तर भारत के दर्शकों को भी खूब पसंद आ रहा है. ‘जवान’ में वही अंदाज देखने को मिलता है.
‘जवान’ के कमजोर पक्ष की बात करें तो वो है इसका म्यूजिक, जो उतना कैची नहीं है. इस फिल्म के गाने उस स्तर पर बड़े स्तर पर दर्शकों को लुभा नहीं पा रहे हैं. साथ ही एक मसाला एंटरटेनजर के साइड इफेक्ट इसमें भी हैं, जैसे इंटरवेल से पहले के एक सीन में नयनतारा को गोली लगती है पर अगले सीन में ये गोली कहां गई, पता नहीं. एक सीन में रात के एक्शन सीन में पुलिस ऑफिसर बनीं नयनतारा काला चश्मा पहने नजर आती हैं. क्लाइमैक्स के जिस सीन में बाहर खड़ी पुलिस घुसने में असमर्थ है, उसी जेल में गुंडे कहां से आ जाते हैं पता नहीं… तो अगर ऐसी बारीकियों पर आप ज्यादा फोकस न करें तो बाकी सब मजेदार है.
अगर आप एक्शन से भरपूर मसाला फिल्म देखने के शौकीन हैं, अगर आपको सिनेमाहॉल में जाकर एक फैमली एंटरटेनर फिल्म का आनंद उठाना है तो शाहरुख खान की जवान आपको जरूर देखनी चाहिए. ये फिल्म एक पैसा वसूल फिल्म है