दिलीप कुमार साहब अभिनय के क्षेत्र के बादशाह हैं और फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ लेखन के क्षेत्र के और जब दो विशिष्ट व्यक्तित्व आपस में टकराते हैं तो उनकी रौशनी कोई न कोई ऐसा किस्सा छोड़ती है कि आने वाला ज़माना उनके बारे में बातें करता रहता है। ऐसा ही एक किस्सा हुआ जब फ़ैज़ हिन्दुस्तान आने वाले थे और यहां उनकी मुलाक़ात दिलीप कुमार से होने वाली थी।
इस किस्से को फ़ैज़ के नाती कुछ यूं सुनाते हैं कि फ़ैज़ साहब की बेग़म दिलीप कुमार की प्रशंसक थीं और फैज़ साहब ने हिन्दुस्तान आने से पहले उनसे पूछा कि क्या वह वहां से कोई तोहफ़ा चाहती हैं? इस पर उन्होंने पूछा कि क्या फ़ैज़ वहां दिलीप कुमार से मिलेगें, इस पर फ़ैज़ मे जवाब दिया कि, ”शायद”
तब उनकी बेग़म ने कहा कि, “क्या आपको याद रहेगा कि आप मेरे लिए दिलीप साहब का ऑटोग्राफ़ ला दें”
इस पर फ़ैज़ ने कहा कि, “अगर मुलाक़ात हुई और याद रहे तो ले आएंगे उनका ऑटोग्राफ़ आपके लिए”
कुछ दिनों के बाद जब फ़ैज़ साहब वापस घर लौटे तो उनकी बेग़म ने पूछा, “आप जहां गए वहां दिलीप कुमार साहब थे?”
तब फ़ैज़ साहब ने कहा, ”जी, थे”
तब बेग़म ने पूछा, “आपको याद था न कि मैंने आपसे कहा था कि अगर वह मिलें तो उनका ऑटोग्राफ़ ले लीजिएगा”
जब फ़ैज़ साहब ने कहा कि उन्हें याद था तो उनकी बेग़म ने पूछा कि क्या वह उनके लिए ऑटोग्राफ़ लाए हैं, इस पर फ़ैज़ ने मना कर दिया कि वह ऑटोग्राफ़ नहीं लेकर आए, तब बेग़म ने पूछा कि “क्यूं”
तो वह बोले कि, “अरे भई! वह हमारा ऑटोग्राफ़ मांग रहे थे तो हम कैसे उनसे उनका ऑटोग्राफ़ मांगते”