फिल्म समीक्षा
“द लास्ट टैक्सी – एक औरत का राज़ जो कभी बताया नहीं जा सका”
ये एक मार्मिक और विचारोत्तेजक शॉर्ट फिल्म है जो दर्शकों को एक भावनात्मक सफ़र पर ले जाती है, जहाँ वास्तविकता और अलौकिक दुनिया के बीच की रेखा धुंधली हो जाती है। यह फिल्म बड़ी कुशलता से रहस्य और उत्सुकता पैदा करती है और खत्म होने के बाद भी लंबे समय तक अपनी छाप छोड़ जाती है।
कहानी एक मेहनती टैक्सी ड्राइवर के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपनी बेटी के इलाज के लिए पैसे जुटाने के लिए देर रात तक काम कर रहा है। तभी उसकी गाड़ी में एक रहस्यमयी और परेशान महिला बैठती है। उस महिला का अजीब व्यवहार दर्शकों के मन में एक बेचैनी का माहौल बनाने में सफल होता है। ड्राइवर की करुणा और सहानुभूति तब चमकती है जब वह उस महिला को रेलवे ट्रैक के पास पाता है, जहाँ वह अपनी जान देने वाली होती है। वह उसे दिलासा देने के लिए अपनी कहानी सुनाता है कि कैसे एक अजनबी ने उसकी जान बचाई थी।
जिससे प्रभावित होकर महिला भी अपनी हिम्मत जुटाकर अपने दिल का दर्द बयां करती है कि प्रेम में मिले धोखे ने कैसे उसको उसके परिवार से अलग कर दिया , जिससे वो ये हताशा का कदम उठाने को विवश हुई| फिल्म में एक सिहरन पैदा करने वाला मोड़ तब आता है जब ड्राइवर द्वारा महिला को घर छोड़े जाने के दौरान उसे मालूम चलता है कि दो साल पहले किसी टैक्सी यात्रा में महिला कि हत्या हो चुकी होती है, यह मोड़ पूरी कहानी को एक नया नजरिया देता है, जिससे यह पता चलता है कि ड्राइवर की मुलाकात शायद एक भटकती हुई आत्मा से हुई थी जो सुकून की तलाश में थी। उस महिला कि आत्मा ने कैसे उस ड्राइवर कि मदद कि ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी|
“द लास्ट टैक्सी” एक खूबसूरती से गढ़ी गई फिल्म है जो नुकसान, सहानुभूति और उन अनपेक्षित संबंधों जैसे विषयों को दर्शाती है जो सबसे मुश्किल समय में भी बन सकते हैं। ड्राइवर राजेश के रूप में श्रीधर दुबे व रिया के रूप में तनीषा ठाकुर का दमदार अभिनय और सधी हुई कहानी इसे देखने लायक बनाती है, और दर्शकों को इंसानी और अलौकिक दुनिया के रहस्यों पर सोचने के लिए मजबूर कर देती है।
फिल्म की प्रोड्यूसर शिवानी शुक्ला हैं तो वहीं लेखन एवं निर्देशन प्रवीण दुवेदी ने किया, विशेष बात यह रही की इस कहानी का अंत सामान्य कहानियों की तरह भय अथवा दुःख के साथ नहीं बल्कि ड्राइवर की बीमार बेटी हेतु मिली आर्थिक सहायता के सकारात्मक मोड़ पर होता है| एसोसिएट निदेशक विनय श्रीवास्तव, डायरेक्टर ऑफ़ फोटोग्राफी नवनीत सिंह व अंश मिश्रा रहे साथ ही अबू रिज़वान, अमन सिंह, संजय मिश्रा, रिंकन गुप्ता आदि लोगों का विशेष सहयोग रहा..