‘कानपुर इतिहास समिति द्वारा हिन्दी पत्रकारिता दि्शताब्दी वर्ष श्रृंखला में दिया गया सम्मान’
हम रहे होंगे कोई पाँच-सात वर्ष के। श्रद्धेय गणेशशंकर विद्यार्थी जिन्हें मैं ताऊ जी कहता था वह रहते थे मकान नं. 22/114 फीलखाना में और हमारा मकान नम्बर 22/115 था। मेरे पिताजी ने उनके पैर छूने को कहा था, तो मैं जब भी ताऊ को देखता, उनके पैर छू लेता था। जब भी हम लोग उनके पैर छूते, वो हमारा सिर सहला देते। आशीर्वाद में क्या कहते थे, यह अब ठीक-ठीक याद नहीं है, पर इतना जरूर याद है, कहते थे, ‘खूब पढ़ो।’ कभी-कभी जेब से मुट्ठी-मुट्ठी भर भुने चने भी देते थे और जाड़ों में जब-तब थोड़ी-थोड़ी मूँगफली भी देते।
यह संस्मरण पार्वती बागला रोड स्थित नवशील सदन अपार्टमेंट निवासी 103 वर्षीय रविशंकर मेहरोत्रा ने कानपुर इतिहास समिति द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में सुनाये। हिन्दी पत्रकारिता दि्शताब्दी वर्ष श्रृंखला में आज उनके निवास पर जाकर कानपुर इतिहास समिति के सदस्यों ने सम्मानित किया। विद्यार्थी जी का सानिध्य होने के कारण अन्य स्वतंत्रता सेनानियों की सेवा का अवसर भी उन्हें मिला। आज भी वह गणेश शंकर विद्यार्थी की फोटो पूजाग्रह में रखते हैं। भक्तिभाव से विद्यार्थी जी की फोटो नित्य माथे पर लगाकर स्मरण करते हैं। रवि शंकर मेहरोत्रा जी ने बताया कि विद्यार्थी जी मोटा चश्मा लगाए या तो पढ़ते-लिखते रहते थे या बड़े-बुजुर्गों से बतियाते रहते। वो खद्दर की धोती-कुरता पहनते थे। कभी-कभी घर से प्रेस या प्रेस से घर बालकृष्ण शर्मा नवीन भी उनके साथ आते-जाते थे। बाबू नारायणप्रसाद अरोड़ा से उनकी बातें घंटों होती थीं। गुरु रघुवरदयाल भट्ट घोड़े पर चढ़कर आया करते थे।
उन्होंने बताया कि ‘प्रताप’ प्रेस में जाने के तीन रास्ते थे। एक तो सड़क से ऊपर जाने का, दूसरा गली से जहाँ मशीनें चलती थीं वहाँ जाने का और तीसरा पहलवान की दुकान के बराबर से। वहाँ पुलिस भी आती थी, सड़कवाले रास्ते से पुलिस को देखकर हम लोग इधर-उधर छिप जाते थे।पता नहीं, विद्यार्थी जी को पुलिस के आने की खबर पहले से कैसे लग जाती थी। वैसे तो दफ्तर में जहाँ वो बैठते थे, वहाँ से नीचे का सबकुछ दिखाई देता था। एक बार पुलिस सामने सड़क की तरफ से चन्द्रशेखर आजाद उसी समय पिछवाड़े के रास्ते से चंपत हो गये थे। कानपुर इतिहास समिति द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में कौशल किशोर शर्मा, अनूप कुमार शुक्ल, आकर्षण तिवारी, विनोद टंडन, महेश शर्मा, शुभम् त्रिपाठी, हर्षित सिंह बैस, श्याम जी मेहरोत्रा, वीरेन्द्र चतुर्वेदी, प्रखर श्रीवास्तव अलका मेहरोत्रा, कृतिका मेहरोत्रा,नन्दू मेहरोत्रा आदि मौजूद रहे।




