आज, 8 नवंबर 2025 को प्रताप प्रेस स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर, जनमानस फाउंडेशन द्वारा ‘पत्रकारिता के पुरखे’ पुस्तक का विमोचन किया गया। इस अवसर पर प्रताप के साथ ही भारतीय हिंदी पत्रकारिता के प्रमुख अखबारों के कृतित्व और उनके संपादकों के व्यक्तित्व पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया |
जनमानस फाउंडेशन के निदेशक एवं पुस्तक लेखक प्रखर श्रीवास्तव ने कहा 112 वर्ष पूर्व गणेश शंकर विद्यार्थी द्वारा 9 नवंबर 1913 को स्थापित प्रताप प्रेस, हिंदी पत्रकारिता के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, इसके कई कारणों में से प्रमुख यह है कि आज़ादी के लिए कलम चलाने वाले कई क्रांतिवीरों ने इस पत्र में गुप्तनामों से लेख लिखे, शहीद-ए-आज़म भगत सिंह ने भी बलवंत नाम से प्रताप प्रेस में काम किया|
अतिथि के रूप में मौजूद आज़ाद व भगत के साथी क्रांतिवीर गया प्रसाद के पुत्र क्रांति कटियार ने कहा मेरे पिता जी ने भी प्रताप प्रेस में हुई कई बैठकों में हिस्सा लिया था, प्रताप प्रेस इस शहर कि अहम विरासत है.. सत्ता, समाज व प्रशासन को इसे संरक्षित करने के लिए कदम उठाना चाहिए, इस प्रेस में गाँधी जी ने भी रात बिताई है|
कानपुर विश्वविद्यालय की प्रोफेसर विधि सिंह ने कहा पुस्तक ‘पत्रकारिता के पुरखे’ ने उत्तर प्रदेश में अंग्रेजों द्वारा पहली कोढ़ो की सजा खाने वाले पत्रकार के•सी•आर्या और उनके अख़बार अग्रगामी को भी याद किया गया है, जिसकी हॉकिंग स्वयं सुभाष चंद्र बोस की सेना में महिला विभाग की सचिव रहीं मानवती आर्या करती थीं|
जनमानस फाउंडेशन के इस प्रयास की सराहना करते हुए एच•बी•टी•यू के प्रोफेसर बृजेश सिंह ने कहा पुस्तक ‘पत्रकारिता के पुरखे’ हिंदी पत्रकारिता के इतिहास को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। इसमें माखनलाल चतुर्वेदी, गणेश शंकर विद्यार्थी के अलावा भगत सिंह की पत्रकारिता व सुभाष चंद्र बोस के फॉरवर्ड अखबार पर रोचक सामग्री है|
चंद्रशेखर आज़ाद कृषि विश्वविद्यालय से सेवा निवृत वैज्ञानिक राज किशोर कटियार ने कहा प्रताप प्रेस की कर्मठता को सलाम है, जब भी विद्यार्थी जी जेल गए तो माखनलाल जी ने उस दौरान प्रताप प्रेस की कमान संभाली… डॉ• सुमन बाला कटियार ने कहा कि प्रताप प्रेस से ‘प्रभा’ नाम से एक अहम पत्रिका भी प्रकाशित होती थी जिसका संपादन बाल कृष्ण शर्मा नवीन ने भी किया | वहीं डी•बी•एस कॉलेज की प्रो• नीलिमा शुक्ला ने कहा प्रताप प्रेस के संस्थापकों में नारायण प्रसाद अरोड़ा, शिव नारायण मिश्र वैद्य और यशोदा नंदन शुक्ल भी विद्यार्थी जी के साथ थे महाराणा प्रताप के नाम पर इस प्रेस का प्रताप रखा गया, जहाँ से समाचार पत्र के अतिरिक्त कई पुस्तकें भी प्रकाशित हुईं| इस अवसर पर प्रभाकर श्रीवास्तव, स्वतंत्र प्रकाश, मिष्टी श्रीवास्तव, आज़ाद सिंह, बृज भूषण सिंह, आदि मौजूद रहे|




