Friday, December 27, 2024

महिला आरक्षण बिल – क्या, क्यों और कैसे

By: अविनीश मिश्रा

महिला आरक्षण बिल: सिर्फ हेमा, जया, सोनिया और मेनका,या फिर बुधिया, धनिया, अमीना को भी मिलेगा मौका ?

लोकसभा में जब महिला आरक्षण बिल पेश किया गया तो मुंशी प्रेमचंद्र की कहानियों के महिला पात्रों के नाम याद आ गए. संसद में महिलाओं के आरक्षण की बात पिछले 27 सालों से चल रही है. 19 सितंबर को जब इस बिल को लाया गया तो मन में सवाल आया कि क्या बुधिया, धनिया या अमीना जैसी महिलाओं को लोकतंत्र के इस मंदिर में आने का मौका मिलेगा.

ये सवाल इसलिए भी है क्योंकि जो आंकड़े मिले वो चौंकाते हैं. वर्तमान में जो भी महिला सांसद हैं उनकी पृष्ठभूमि की तुलना में समाज के एक बड़े तबके की महिलाएं कफन की बुधिया, ईदगाह की अमीना और गोदान की धनिया जैसी महिलाओं की तरह संघर्ष कर रही हैं.

18 सितंबर को मोदी कैबिनेट ने लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया था. सरकार अगर महिला आरक्षण बिल को विशेष सत्र में पास कराती है, तो साल 2024 से पहले लोकसभा सीटों का समीकरण बदल सकता है.

ऐसे में लोकसभा की कुल 543 में से करीब 180 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी. हालांकि, सबसे बड़ा सवाल है कि क्या इन सीटों से आम महिलाएं चुनकर संसद पहुंच पाएंगी? क्योंकि, वर्तमान में लोकसभा में महिलाओं सांसदों को लेकर जो डेटा है, वो हैरान करने वाला है.

लोकसभा में 78 में से सिर्फ 13 महिला सांसद दलित और 7 महिला सांसद आदिवासी समुदाय से हैं. लोकसभा में मुस्लिम महिला सांसद सिर्फ 2 हैं. बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने महिला आरक्षण में दलित और आदिवासी को भी आरक्षण देने की पैरवी की है. मायावती ने कहा है कि यह सुनिश्चित हो कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से हो.

लोकसभा में 78, राज्यसभा में 24 महिला सांसद
2021 में संसदीय कार्य मंत्रालय ने एक रिपोर्ट जारी कर कहा कि लोकसभा में 78 महिलाएं सांसद हैं, जबकि राज्यसभा में यह आंकड़ा 24 का है. एडीआर के मुताबिक देश में करीब 4300 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें महिला विधायकों की संख्या सिर्फ 340 के आसपास है.

संसदीय कार्य मंत्रालय के मुताबिक महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने की जिम्मेदारी कानून और गृह मंत्रलाय पर है, जो आरक्षण लागू कर ही किया जा सकता है. मंत्रालय के मुताबिक केंद्रीय कैबिनेट में महिलाओं की हिस्सेदारी न बढ़ने के पीछे प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार होना है.

नेता की पत्नी या बेटियों का लोकसभा में दबदबा
लोकसभा में अभी 78 महिला सांसद हैं, लेकिन इनमें से 32 सांसद या तो नेताओं की पत्नी हैं या नेता पुत्री. राज्यसभा में भी नेताओं के परिवार का दबदबा है. पश्चिम बंगाल से सबसे अधिक महिला सांसद हैं, लेकिन वहां फिल्म अभिनेत्रियों का दबदबा है.

यूपी से 11 महिला सांसद, 2 तो गांधी परिवार की बहु
2019 के चुनाव में उत्तर प्रदेश से 11 महिला जीतकर लोकसभा पहुंचीं. इनमें 2 गांधी परिवार की बहुएं शामिल हैं. रायबरेली से राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी और सुल्तानपुर सीट से संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी सांसद हैं.

इसी तरह हेमवती नंदन बहुगुणा की बेटी रीता बहुगुणा प्रयागराज सीट से सांसद हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा बदायूं और पूर्व विधायक आजाद अरी की पत्नी संगीता आजाद लालगंज सीट से सांसद हैं.

बिहार में तीन महिला सांसद, तीनों नेताओं की पत्नी
बिहार से 3 महिला सांसद हैं, लेकिन तीनों नेता की पत्नी हैं. वैशाली सीट से रालोजपा सांसद वीणा सिंह के पति दिनेश सिंह की गिनती दिग्गज नेताओं में होती है. इसी तरह सीवान सांसद कविता सिंह के पति अजय सिंह भी राजनीति में पहले से सक्रिय हैं.

सीवान में अजय सिंह की राजनीति सक्रियता देखते हुए ही जेडीयू ने 2019 में कविता को टिकट दिया था. शिवहर से रमा देवी का राजनीतिक बैकग्राउंड भी पारिवारिक हैं. रमा देवी के पति बृज बिहारी प्रसाद लालू सरकार में मंत्री थे.

झारखंड की दोनों सांसद विरासत संभाल रही
2019 में कोडरमा से बीजेपी टिकट पर अन्नपूर्णा देवी और कांग्रेस टिकट पर सिंहभूम से गीता कोरा ने 2019 में जीत दर्ज की थी. अन्नपूर्णा देवी अभी केंद्र में मंत्री भी हैं. अन्नपूर्णा देवी को राजनीति विरासत अपने पति रमेश यादव से मिली हैं. यादव संयुक्त बिहार में कोडरमा से विधायक थे.

इसी तरह गीता कोरा के पति मधु कोरा झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. कोरा अभी भी राजनीति में सक्रिय हैं.

महाराष्ट्र में नेता पुत्रियों को तरजीह
48 सीटों वाली महाराष्ट्र से 8 सांसद महिला हैं. इनमें 4 नेताओं की पुत्री और 2 नेताओं की बहुएं हैं. सुप्रिया सुले, प्रीतमा मुंडे, पूनम महाजन और हीना गावित महाराष्ट्र के दिग्गज नेताओं की बेटियां हैं. इसी तरह रक्षा खडसे और भारती पंवार को ससुर की विरासत मिली है.

सुप्रिया सुले के पिता शरद पवार एनसीपी के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री हैं. प्रीतमा मुंडे के पिता गोपीनांथ मुंडे भी बड़े राजनेता थे. पूनम महाजन को प्रमोद महाजन की राजनीति विरासत मिली है. हिना के पिता विजय गावित की भी गिनती महाराष्ट्र के दिग्गज नेताओं में होती थी.

वहीं भारती पंवार के ससुर अर्जुन पंवार विलासराव देशमुख सरकार में मंत्री थे. रक्षा खडसे के ससुर एकनाथ खडसे भी महाराष्ट्र के मंत्री रह चुके हैं.

इन राज्यों में भी स्थिति काफी खराब
मध्य प्रदेश के सीधी से सांसद रीती पाठक और शहडोल से सांसद हिमाद्री सिंह को भी राजनीति विरासत में मिली है. छत्तीसगढ़ के कोरबा से ज्योतसना महंत के पति चरणदास महंत वर्तमान में विधानसभा के स्पीकर हैं.

राजस्थान के भरतपुर से सांसद रंजीता कोली के ससुर गंगाराम कोली सांसद रह चुके हैं. तमिलनाडु के थोटुकुडी सीट से सांसद कनिमोझी करुणानीधि की बेटी है. कनिमोझी के भाई एमके स्टालिन अभी राज्य के मुख्यमंत्री हैं.

मेघालय के सांसद अगाथा संगमा के भाई भी वर्तमान में मुख्यमंत्री हैं. पंजाब के पटियाला से सांसद परिणित कौर के पति कैप्टन अमरिंदर सिंह भी मुख्यमंत्री रह चुके हैं. आंध्र के सांसद गोतेदी माधवी के पिता भी बड़े कम्युनिष्ट नेता थे. पूर्व मंत्री अनिल भाई पटेल की पत्नी शारदबेन पटेल गुजरात के मेहसाणा से सांसद हैं.

कार्यकर्ताओं के हक पर अभिनेत्रियों का वीटो
ममता बनर्जी ने बंगाल में लोकसभा चुनाव के समय 40 प्रतिशत महिलाओं को टिकट देने की घोषणा की थी, लेकिन कार्यकर्ताओं के नाम पर अधिकांश अभिनेत्रियों को चुनाव के रण में उतार दिया गया. बंगाल से 11 महिला सांसद चुनकर लोकसभा पहुंचीं, जिसमें से 4 सांसद फिल्मी बैकग्राउंड से हैं.

नुसरत जहां, मिमी चक्रवर्ती और शताब्दी रॉय तृणमूल से जबकि लॉकेट चटर्जी बीजेपी से सांसद हैं. तृणमूल ने अर्पिता घोष, मूनमून सेन और देव को भी टिकट दिया था, लेकिन ये सभी जीत नहीं पाए. इतना ही नहीं, यूपी के मथुरा सीट से हेमा मालिनी और चंडीगढ़ सीट से सांसद किरण खेर भी एंट्री फिल्मी दुनिया से ही हुई है.

बीजेपी के 10 और कांग्रेस के 4 मुख्यमंत्री, एक भी महिला नहीं महिला आरक्षण का बीजेपी के साथ ही कांग्रेस ने भी खुलकर समर्थन किया है, लेकिन दिलचस्प बात है कि दोनों पार्टियों की ओर से शीर्ष पद पर महिलाओं को ज्यादा तवज्जों नहीं दी गई है.

देश में बीजेपी की 10 राज्यों में सरकार है, लेकिन एक भी राज्य में महिला मुख्यमंत्री नहीं हैं. यूपी में योगी आदित्यनाथ, गुजरात में भूपेंद्र पटेल, उत्तराखंड में पुष्कर धामी, असम में हिमंत बिस्व शरमा, हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर, अरुणाचल में पेमा खांडू, त्रिपुरा में मणिक साहा और मणिपुर में एन बीरेन सिंह सत्ता के शीर्ष पद पर काबिज हैं.

इसी तरह देश में कांग्रेस की सत्ता 4 राज्यों में है. राजस्थान में अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल, हिमाचल में सुखविंदर सुक्खू और कर्नाटक में सिद्धारमैया मुख्यमंत्री हैं. आम आदमी पार्टी की भी 2 राज्य में सरकार है, लेकिन पार्टी ने किसी भी राज्य में महिला को मुख्यमंत्री नहीं बनाया है.

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