“विक्रमादित्य का तेगा” नाटक का मंचन 18 अक्टूबर 2024 को वाल्मीकि रंगशाला (संगीत नाटक अकादमी) गोमतीनगर लखनऊ में किया गया|
मुंशी प्रेमचंद्र की इस ऐतिहासिक कहानी पर आधारित नाटक का निर्देशन एम•आई•एस• इक़बाल के द्वारा किया गया। 60 दिन की कार्यशाला में तैयार किए गए इस नाटक के कार्यशाला निर्देशक वरिष्ठ रंगकर्मी रहमान खान थे। ये नाटक संस्कृति निदेशालय उत्तर प्रदेश के सहयोग से आयोजित किया गया।
कहानी में 3 साल पहले अपने पति को खो चुकी विधवा वृंदा अपने नन्हे बेटे के साथ जीवन गुज़ार रही थी, जिसे जाट प्रेम सिंह से सहारा मिलता है| लाहौर के मीना बाजार में श्यामा बाई के नाम से मशहूर हो जाती है| सैनिको द्वारा हुआ उसके तिरस्कार की छाया उसके मन भीतर गहराती जाती है और अंत में वो महाराजा रणजीत सिंह के पास न्याय के लिए पहुँचती है|
महाराजा रणजीत सिंह की न्यायप्रियता, महानता और राजा विक्रमादित्य का प्रताप इस नाटक में दर्शाया गया है|
एम•आई•एस• फाउंडेशन ऑफ़ आर्टिस्ट द्वारा प्रस्तुत इस नाटक में मुख्य भूमिका में प्रणव श्रीवास्तव, शशांक पांडेय, अनामिका, संकल्प और मोहम्मद समीर का अभिनय प्रभावशाली रहा। कशिश और शाक्षी अवस्थी ने शानदार नृत्य पेश किया। मुख- सज्जा उपेन्द्र सोनी की थी।
प्रेमचंद्र की ये कहानी इतिहास और कल्पना का सम्मिश्रण ही नहीं है, बल्कि इनमें मानवीय संवेदना के एहसास के साथ ही साथ ऐतिहासिक तत्व भी उजागर हुए हैं|