Friday, August 1, 2025

कानपुर के इन इलाकों में रहे चंद्रशेखर आज़ाद, टोपी आज भी है सुरक्षित

शहीद क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आज़ाद के पैतृक गाँव भौंती में आजाद स्मारक बनाया जाए व उन्हें भारत रत्न दिया जाए। आज़ाद जयंती पर ऐसी मांग कानपुर इतिहास समिति द्वारा आयोजित संगोष्ठी में रखी गई|

संगोष्ठी के अध्यक्ष विश्वंभर त्रिपाठी जी ने कहा कि ‘चन्द्रशेखर आजाद के पूर्वज भौंती के थे। क्रांतिकारी रामदुलारे त्रिवेदी, विश्वनाथ वैशम्पायन, शिव विनायक मिश्र मनोहर लाल त्रिवेदी सभी ने भौंती को ही पैतृक गाँव माना है। जिसकी पुष्टि सी•आई•डी• अधिकारी शंभू नाथ शुक्ल के पत्र से भी होती है।’ वरिष्ठ पत्रकार महेश शर्मा ने कहा कि ‘आजाद कानपुर से बहुत प्रभावित थे शालिग्राम शुक्ल की शहादत के समय डी•ए•वी• कॉलेज हॉस्टल के पास मौजूद थे।’ कुणाल सिंह ने कहा कि ‘आजाद तो पूरे भारत वर्ष के गौरव थे परन्तु मेरे लिए गौरव है कि उनका पैतृक गाँव भौती प्रतापपुर ही था। “चन्द्रशेखर आजाद मिथक बनाम यथार्थ” अद्भुत शोध ग्रन्थ है आजाद को समझने के लिए उसे जरूर पढ़ना चाहिए।’ डॉ शालिनी मिश्रा ने कहा कि “काकोरी के दिलजले” पुस्तक में रामदुलारे त्रिवेदी ने लिखा कि ‘कानपुर से झांसी जाने वाली सड़क पर कानपुर शहर से कुछ मील दूर स्थित भौती नामक ग्राम में आज़ाद के पिता सीताराम तिवारी ने जन्म लिया था वे कुछ दिनों के बाद अपनी ससुराल के ग्राम सरौसी सिकन्दरपुर जिला उन्नाव में आ बसे।’

कानपुर इतिहास समिति के महासचिव अनूप शुक्ल ने कहा कि ‘बनारस में आजाद का साथ देने वाले रिश्तेदार और आजाद की अंत्येष्टि कर्ता पं• शिव विनायक मिश्र वैद्य ने लिखा है कि ‘श्री चन्द्रशेखर आजाद के पूर्वज कानपुर जिले के राउत मसवानपुर के निकट भौंती ग्राम के निवासी कान्यकुब्ज ब्राह्मण तिवारी वंश के थे। श्री देवकी नन्दन मिश्र बदरका वालों की बुआ गोविन्दा भौंती ग्राम में तिवारियों के यहाँ ब्याही थीं। श्रीमती गोविन्दा देवी की कोख से श्री सीताराम तिवारी का जन्म हुआ ।’ इसी प्रकार कानपुर के इतिहासविद पण्डित लक्ष्मीकांत त्रिपाठी और बाबू नारायणप्रसाद अरोड़ा ने 1948 में प्रकाशित कानपुर के विद्रोही किताब में भी आजाद का पैतृक ग्राम भौंती प्रतापपुर लिखा है । इसलिए भौंती में आजाद स्मारक बनाया जाना चाहिए। आजाद की जन्मतिथि पहली बार 28 फरवरी 1952 के लीडर में सावन सुदी दूज सोमवार प्रकाशित हुई थी।’ शुभम् त्रिपाठी ने कहा कि ‘आजाद कानपुर प्रवास में स्थानों पर रहे वह डॉ मुरारीलाल रोहतगी की कोठी में, रामचन्द्र मुसद्दी के आर्यसमाज वाले निवास और प्यारेलाल अग्रवाल के लाटूश रोड निवास प्रमुख थे। वह कई बार नारायण प्रसाद अरोड़ा जी के घर पर ठहरे थे आजाद की छूटी हुई एक टोपी जो की अब भी तिलक हाल कानपुर की अशोक पॉलिटिकल लाइब्रेरी में रखी है।’ अनुराग सिंह ने कहा कि ‘चन्द्रशेखर आजाद अनेकानेक क्रांतिकारी घटनाओं के नियोजनकर्ता थे काकोरी ट्रेन डकैती भी उसी श्रृंखला में से एक है जिसका शताब्दी वर्ष चल रहा है।’ डॉ नीलम शुक्ला ने कहा कि ‘भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी प्रताप गोपेन्द्र ने अपनी किताब “चन्द्रशेखर आजाद मिथक बनाम यथार्थ” में लिखा है कि चन्द्रशेखर आजाद के पूर्वजों से सम्बन्धित खोज के क्रम में दो तथ्य विश्वसनीय जान पड़े। पहला उनके पुरखे भौंती प्रतापपुर के रहने वाले थे, दूसरा उनके दादा का नाम मैकूलाल तिवारी था। इन तथ्यों की जाँच के लिए मैं 4 सितम्बर 2022 को कानपुर इतिहास समिति के महासचिव अनूप शुक्ल के साथ भौंती गई। वहाँ चन्द्रशेखर आजाद के पिता के हिस्से के खंडहर थे।’ संगोष्ठी में विश्वंभरनाथ त्रिपाठी, डॉ शालिनी मिश्रा, महेश शर्मा, अनूप कुमार शुक्ल, कुणाल सिंह, शुभम् त्रिपाठी, अनुराग सिंह डॉ नीलम शुक्ला आदि मौजूद रहे।

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