Monday, October 20, 2025

दिल में उतर गए नाटक “कोई एक रात” के संवाद, अनुकृति रंगमंडल ने मनाई 38वीं वर्षगांठ

कानपुर, 04 अक्टूबर, शनिवार। देश के 80 से अधिक शहरों में 150 से ज्यादा नाटकों के सफल मंचन कर चुकी शहर की संस्था अनुकृति रंगमंडल के 38वें स्थापना दिवस के मौके पर आज शास्त्री भवन खलासी लाइन कानपुर में मंचित नाटक “कोई एक रात” में मां बेटी के शानदार अभिनय से दो महिला कलाकारों ने दर्शकों का मन मोह लिया।

लेखक अशोक सिंह के इस नाटक का निर्देशन डा. ओमेन्द्र कुमार ने किया। यह कहानी है एक माँ पूर्वा (संध्या सिंह) और बेटी सुमि (दीपिका सिंह) के बीच उस एक रात की, जिसमें बीते हुए वर्षों की टीस, समझौते और नाराज़गी नजर आती है।नाटक उन दो पीढ़ियों की सोच, संघर्ष और जीवन मूल्यों के टकराव को दर्शाता है, जिनके रास्ते रंगमंच और फ़िल्मी दुनिया -से जुड़ते हैं लेकिन उनके अनुभव और रास्ते बिलकुल अलग हैं।

माँ ने फ़िल्मों में काम पाने के लिए अनगिनत समझौते किए। पहले एक काम के लिए, फिर दूसरे, फिर इस इंडस्ट्री में बने रहने के लिए, फिर अवॉर्ड्स के लिए और अंततः अपने स्टेटस और जीवनशैली को बनाए रखने के लिए। माँ मानती है कि यह दुनिया तभी कुछ देती है जब तुम बदले में कुछ देने को तैयार हो।

वहीं बेटी थिएटर से जुड़ी है – वह आदर्शों पर विश्वास करती है, अपने आत्म सम्मान को सर्वोपरि मानती है। वो माँ जैसे समझौते नहीं करती है। उसका मानना है कि थिएटर कभी उससे उसकी आत्मा नहीं मांगता, ना ही उसकी इज़्ज़त की कीमत पर कुछ चाहता है। यह टकराव सिर्फ दो सोचों का नहीं, दो जिंदगियों का है – एक हक़ीक़त से समझौता कर चुकी औरत, और दूसरी वो लड़की, जो खुद को बचाना चाहती है।

नाटक में भावनात्मक ऊँच-नीच, कटु संवादों के बीच और अंत में रिश्तों की गांठें खुलती हैं। जहाँ माँ-बेटी के बीच झगड़े, आरोप और नाराज़गी है। वहीं कहीं न कहीं बेपनाह प्यार भी है, अपनापन भी है। मां की तबियत बिगड़ती है तो बेटी उसका सिर अपनी गोद में रख उसे दिलासा देती है। सुमि की गोद में पूर्वा वो ममता महसूस करती है जो उसे कभी हासिल नहीं हुई।

यह नाटक सिर्फ एक रात का संवाद नहीं, बल्कि सालों की चुप्पियों, अधूरे रिश्तों, और पीढ़ियों के बीच के फासलों को उजागर करता है। माँ-बेटी के बीच झगड़े हैं, कटुता है, लेकिन उन सबके पीछे एक बहुत गहरा प्रेम और एक-दूसरे को बचाने की कोशिश भी है।

इस रात के बाद माँ-बेटी के रिश्ते में एक नई समझ, एक नई गहराई जन्म लेती है। नाटक तब मोड़ लेता है जब बेटी बताती है कि वह थिएटर में मिले एक पेंटर से प्यार करने लगी है, एक पुरुष ज उससे 22 साल बड़ा है। उसका नाम सुनकर माँ हतप्रभ रह जाती है। “आखिर कौन है वह? जिससे माँ बेटी दोनों की जिंदगी में भूचाल सा आ जाता है?”

दोनों कलाकारों संध्या और दीपिका के सशक्त अभिनय ने दर्शकों को अंत तक बांधे रखा। मंच व्यवस्था सम्राट यादव, आकाश, विजय, रोशन व वसीम की रही। संगीत विजय भास्कर और प्रकाश परिकल्पना कृष्णा सक्सेना की थी। इस मौके पर डा इंद्रमोहन रोहतगी, वरिष्ठ रंगकर्मी/ अनुकृति कानपुर के संस्थापक अध्यक्ष दीपक सोलोमन, सचिव डा. ओमेन्द्र कुमार एवं बड़ी संख्या में कला प्रेमी दर्शक मौजूद रहे।

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