रिलायंस समूह की एक नई कंपनी शेयर बाज़ार में दस्तक देने जा रही है. 20 जुलाई से जियो फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड शेयर बाज़ार का हिस्सा बन गई है. हालांकि अभी इस कंपनी के शेयरों की ट्रेडिंग या लेनदेन बाज़ार में नहीं होगा लेकिन यह कंपनी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी और उन सभी इंडेक्सों का हिस्सा बन जाएगी जिनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज शामिल है.
बाज़ार में इस कंपनी को लेकर काफी उत्साह दिख रहा है और रिलायंस के शेयरों में पिछले दो हफ्तों की जबर्दस्त तेज़ी के पीछे भी यही कारण है कि जिन लोगों ने 19 जुलाई तक रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के शेयर खरीद लिए हैं उन्हें बीस तारीख के बाद हरेक शेयर पर जियो फाइनेंशियल का एक शेयर भी मिल जाएगा.
पिछले कुछ सालों से भारत का शेयर बाज़ार इंतज़ार कर रहा था कि रिलायंस का शेयर कब अंडे देगा. हालांकि बाज़ार की जुबान में इसे अंडे बच्चे देना भी कहा जाता है. लेकिन बाज़ार को इंतज़ार इस बात का है कि कब रिलायंस अपने नए कारोबार वाली कंपनियों को अलग करके इनकी लिस्टिंग करवाएगा.
इंतज़ार तो रिलायंस जियो इन्फोकॉम और रिलायंस रिटेल के अलग होने या डीमर्जर का था, लेकिन कंपनी ने शेयरधारकों को कुछ अलग ही खुशख़बरी दे दी. रिलायंस इंडस्ट्रीज़ ने पिछले साल जुलाई से सितंबर की तिमाही के नतीजों के साथ यह एलान कर दिया था कि कंपनी अपनी सब्सिडियरी रिलायंस स्ट्रैटेजिक इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड को अलग करके लिस्ट करवाएगी.
इसके साथ ही यह खबर भी आई कि इस कंपनी का नाम बदलकर जियो फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड किया जा रहा है. सरकारी एजेंसियों और शेयरहोल्डरों की मंजूरी के बाद आठ जुलाई को रिलायंस ने एलान किया कि रिलायंस और जियो के अलग होने की तारीख बीस जुलाई होगी.
तब से ही बाज़ार में रिलायंस के शेयर बटोरने की होड़ लग गई थी. हालांकि समय दस बजे तक तय है लेकिन अगर नौ से दस के बीच में सही भाव नहीं मिल पाया तो फिर यह प्राइस डिस्कवरी तब तक चलेगी जब तक ज़रूरी संख्या में ख़रीदार और बिकवालों के बीच एक ही भाव पर सहमति न बन जाए.
इसके बाद यह गणित और तेज़ हो जाएगा कि अब जियो फाइनेंशियल की लिस्टिंग किस भाव पर होगी और तब तक शायद उसके अनलिस्टेड शेयरों में ख़रीद फ़रोख्त का ग्रे मार्केट भी चालू हो जाएगा. लेकिन कारोबार पर नज़र रखनेवालों के लिए बात यहां ख़त्म नहीं होगी.
वहां तो दिलचस्पी यह जानने में है कि जियो फ़ाइनेंशियल के बाद मुकेश अंबानी रिलायंस इंडस्ट्रीज के किस किस बच्चे को कब कब अलग कंपनी की तरह खड़ा करनेवाले हैं.दरअसल यह बात काफ़ी समय से चल रही है कि कम से कम जियो यानी टेलिकॉम कारोबार और रिलायंस रिटेल के तो अलग कंपनी बनने और शेयर बाज़ार में चमकने का वक्त आ चुका है.
इंतज़ार इसी बात का है कि रिलायंस का मैनेजमेंट कब इसका एलान करेगा. इस क़िस्से की जड़ दरअसल 2004 के आसपास अंबानी भाइयों के संपत्ति विवाद में है. तब भारत के कारोबार पर नज़र रखनेवाले क़रीब क़रीब हर इंसान को आश्चर्य हुआ था कि धीरूभाई अंबानी ने इतना बड़ा कारोबार खड़ा किया लेकिन यह हिसाब वो क्यों नहीं जोड़ पाए कि अपने बाद बच्चों के बीच संपत्ति कैसे बंटेगी.
शायद इसीलिए व्यापार जगत में ख़ास कर रिलायंस पर नज़र रखनेवाले जानकारों को लगता रहा कि मुकेश अंबानी यह ग़लती नहीं दोहराएंगे.