साक्षात्कारकर्ता : अम्बिकेश द्विवेदी
जौनपुर के कुशल दुबे भारतेन्दु नाट्य अकादमी, लख़नऊ के पूर्व छात्र हैं व वर्तमान में चर्चित अदाकारी के चलते युवाओं में छाए रहते हैं, कुशल आम जन से जुड़ें सामाजिक विषयों पर प्रभावशाली शार्ट फ़िल्में बनाने में दक्ष हैं |
प्रश्न 1) शुरूवाती शिक्षा एवं पारिवारिक पृष्ठभूमि के विषय में बताएं|
उत्तर 1) हम रहने वाले तो जौनपुर के हैं और पढ़ाई भी जौनपुर से ही हुई शुरुआत की पढ़ाई गाँव से हुई फिर उसके बाद जौनपुर शहर से आगे की पढाई हुई, परिवार में मैं पापा, मम्मी, दादी और एक बड़ा भाई है |
प्रश्न 2) जीवन में अभिनय का आगाज़ कैसे हुआ व क्या प्रेरणा रही ?
उत्तर 2) ऐसे ही एक बार कॉलेज में घूम रहा था तो देखा एक ड्रामा डिपार्टमेंट है उस दौरान ही गुलाल फ़िल्म देखी थी तो थोड़ा पढ़ा तो पीयूष मिश्रा के बारे में पता चला फिर देखा उन्होंने कई गाने लिखे हैं एक्टिंग भी की है फिर उनके बारे पढ़ा वहीं से एनएसडी के बारे में पता चला फिर पता चला ये ड्रामा स्कूल है, पता चला 3 ही ड्रामा स्कूल है पूरे भारत में इस तरह से थिएटर की तरफ जाने की शुरूवात हुई |
प्रश्न 3) आपने एन•एस•डी• नैशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा का जिक्र किया, कृपया बताएं कि लखनऊ में मौजूद भारतेन्दु नाट्य अकादमी की अभिनेताओं की कला और दक्षता को प्रबल करने में क्या भूमिका है ? और इसमें दाख़िल की क्या प्रक्रिया है ?
उत्तर 3) भारतेन्दु नाट्य अकादमी में दाखिला लेने के लिए 6 नाटक किसी संस्था के साथ किए हों, यह अनिवार्य है
जिस शहर में आपने थिएटर किया हो वहाँ के थिएटर ग्रुप द्वारा प्रमाणित पत्र के साथ ही एक विस्तृत फॉर्म भर वेबसाइट पर जमा करने के पश्चात् आवेदक द्वारा किए गए 6 नाटकों का वेरीफीकेशन होता है जिसके बाद साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है | जो कलाकार आर्थिक अथवा परिवारिक कारणों से दिल्ली नहीं जा पाते उनके लिए बी•एन•ए न सिर्फ एक सुनहरा मौका है बल्कि लाभ दायक मंच भी है |
प्रश्न 4) भारतेन्दु नाट्य अकादमी का कोई याद जो आप साझा करना चाहें |
उत्तर 4) भारतेन्दु नाट्य अकादमी के सुखदेव प्रहा सर याद आते हैं जो हमारी एक्टिंग की क्लास लिया करते थे उन्होंने हमें एक्टिंग सिखाई है, उन्होंने मुझे काफी निखारा है |
प्रश्न 5) थिएटर ऐक्टिंग की क्या चुनौतियाँ हैं ? आपकी नज़र में थिएटर क्या है ?
उत्तर 5) मेरी नज़र में थिएटर सुकून है,थिएटर एक्टिंग के लिए सब से पहले आपको अपनी पूरी स्क्रिप्ट याद होनी चाहिए और साथी ऐक्टर के डायलॉग याद होने चाहिए और थिएटर में आप को सिर्फ एक्टिंग ही नही आनी चाहिए स्टेज भी मैनेज करना आना चाहिए मेकअप भी आना चाहिए लाइट कैच करना आना चाहिए पता चल रहा है लाइट इधर जल रही आप उधर डायलॉग बोल रहे दर्शक को दिख ही नही रहे, इन बारीकियों पर विशेष ध्यान रखना चाहिए | बाकी ऐक्टर बनने के लिए आप को सब कुछ आना चाहिए आप को मैथ्स भी आनी चाहिए हिस्ट्री भी आनी चाहिए तो आप को पढ़ना तो पड़ता है |
प्रश्न 6) क्या थिएटर बॉलीवुड तक जाने का माध्यम है या फिर इससे कुछ इतर भी… , और सभी थिएटर आर्टिस्ट का अंतिम लक्ष्य बॉलीवुड ही क्यों होता है इसके पीछे क्या कारण हैं ?
उत्तर 6) इसमें दो बातें हैं इनमें कुछ लोगों को सिनेमा और थिएटर दोनों करना होता है जैसे नासिर साहब हो गया मकरंद देशपांडे और बहुत सारे लोग थिएटर ज्यादा करते हैं सिनेमा कम करते हैं और मुझें लगता है की इसमें मुख्य वजह पैसा और फेम भी है और हर एक आर्टिस्ट की इच्छा होती है लोग उसके आर्ट को जानें इसलिए लोग सिनेमा की ओर रुख कर लेते हैं |
प्रश्न 7) थिएटर आर्थिक तौर पर उतनी तरक्की क्यों नहीं कर पा रहे, जबकि लोग फ़िल्में शौक से पैसा खर्च कर देखने जाते हैं ?
उत्तर 7) भारत में कमर्शियल थिएटर मुम्बई भोपाल कोलकाता में है वो क्यों है क्योंकि वहाँ के लोग आज के नाटक पसंद कर रहे हैं , समकालीन घटनाओं पर नाटक देख रहे हैं और जब हम थिएटर की बात करते है तो वहाँ पर सब पुराने नाटक दिखाए जा रहे हैं इसलिए इनका ग्रोथ नही हो पा रहा है मुझे अगर मौका मिलेगा तो मैं समकालीन नाटक जरूर लाऊंगा |
प्रश्न 8) थिएटर का भविष्य क्या है ? क्या नुक्कड़ नाटकों की तरह थिएटर भी खत्म हो जाएंगे
उत्तर 8) थिएटर कभी खत्म नहीं होगा , लोग बोल रहे हैं थिएटर खत्म हो रहा है लेकिन ये कभी नही होगा इसको जिंदा रखने वाले लोग हैं लोग इसे पसंद करते हैं ये सबसे बड़ा कारण है और सरकार की तरफ से ग्रांट मिल रहे हैं, हर प्रदेश की सरकार सांस्कृतिक उत्थान के लिए इन क्षेत्रों में मोटा रुपया खर्च कर रही है |
प्रश्न 9) उभरते हुए चर्चित थिएटर एक्टर के तौर पर आप थिएटर और थिएटर आर्टिस्टों के हिट में सरकार को क्या सुझाव देना चाहेंगे ?
उत्तर 9) मेरे नज़रिए से सरकार को देश में और रिपेट्रीज खोलनी चहिए जिसने ऐक्टर को ग्रेड के हिसाब से पैसा दिया जाता है अगर हर शहर में रिपेट्रीज खुलेंगे तो हर जगह लोग थिएटर से जुड़ेंगे और नए ऐक्टर आगे आएंगे और लोगों को ऐक्टिंग सीखने के लिए बाहर नही जाना पड़ेगा |
प्रश्न 10) आप द्वारा मूवी रिव्यू करने का अपनाया तरीका बहुत अलहदा है ये आइडिया कैसा आया और आपकी टार्गेट ऑडियंस कौन है ?
उत्तर 10) ऐसा कुछ खास ध्यान में तो नही रखते है बस हाँ ये होता है की ऐसा कुछ बनाएं जो बच्चे बड़े बूढ़े सब देख सकें| मूवी रिव्यू हमनें जीतने भी देखे थे वो सब इतने सॉफिटिकेटेड तरीके से करते थे, मतलब इतना गंभीर और कठिन कर देते थे की मूवी से ज्यादा कठिन उसका रिव्यू हो जाता था तो इसलिए मैंने बिल्कुल देसी तरीके से शुरू किया |