अंहिसा का आधा-अधूरा ज्ञान हिंसा को जन्म देता है। लेकिन देश, काल और परिस्थितियों के अनुसार हिंसा जायज है, राष्ट्र रक्षा हेतु ऐसा संदेश शनिवार, 6 जनवरी को संगीत नाटक अकादमी परिसर में नाट्य संस्था विजय बेला द्वारा नाटक “रक्त-अभिषेक” के मंचन में किया गया |
कार्यक्रम का शुभारम्भ लो.नि. वि. के विभागाध्यक्ष इंजी. अरविन्द कुमार जैन, पूर्व आई0पी0एस0 राजू बाबू सिंह, साहित्यकार महेन्द्र भीष्म तथा सेवा भारती अवध प्रान्त के अध्यक्ष श्री रबीन्द्र सिंह गंगवार जी ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर दयाप्रकाश सिन्हा जी द्वारा लिखित इस नाटक का निर्देशन चन्द्रभाष सिंह द्वारा किया गया जिसमें दिखाया गया कि ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में यूनान विजेता सिकंदर के भारत विजय के अधूरे सपने को पूरा करने और सेल्यूकस की पराजय का बदला लेने के लिए यूनानी राजा मिनेंडर भारत पर छल-बल से आक्रमण करता है। मौर्य राजा बृहद्रथ अहिंसा में विश्वास रखते हैं। उसकी अंधश्रद्घा के कारण देश की सुरक्षा खतरे में पड़ रही थी। मिनेंडर की आक्रमणकारी सेना अयोध्या तक पहुंच गई थी। अगला निशाना पाटलिपुत्र था। राजा को एक विदेशी महिला अंटोनिया से प्रेम होता है जिसे राजा ने साम्राज्य का अग्रअमात्य बना दिया है, जो अपने तथाकथित भाई, जो उसका पति भी है टाइटस जो कि मगध का धर्म महामात्र बौद्ध संघरक्षित बन बैठा है के साथ मिलकर अहिंसा के नाम पर मगध की सेना भांग करवाना चाहती है। बृहद्रथ की विलासिता की प्रवृत्ति और हिंसा पर अहिंसा की विजय का उसका ढोंगपन देश को खतरे में डाल रहा था। राजा इनके जाल में फंसकर अपने देश की सम्पदा विदेशो में नष्ट करने लगा है, एक चौथाई सेना भंग करने का आदेश दे चुका है, और चार माह के लिए वर्षावास के लिए राजगृह विहार जाने का निर्णय लेता है और उस दौरान अग्र-अमात्य अंटोनिया राजकाज देखेगी। सेनापति उसका विद्रोह करता है। लेकिन राजा नहीं मानता, अंतत: देश को बचाने के लिए सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने अपने राजा का वध कर भारत मां का ‘रक्त अभिषेक’ किया। अंत में पुष्यमित्र कहता है कि -माँ !जब-जब विदेशी आक्रांता इस भूमि को मलीन दृष्टि से देखेगा तब-तब कोई न कोई पुष्यमित्र तुम्हारे चरणों में उसकी बलि चढ़ाने जन्म लेता रहेगा।
पौने दो घंटे से अधिक अवधि के नाटक ने अपनी कहानी और कलाकरों के अभिनय ने दर्शकों को बाधें रखा।
सह-निर्देशन निहारिका कश्यप एवं बृजेश कुमार चौबे, प्रकाश संयोजन मो0 हफीज , पार्श्व संगीत जूही कुमारी, सेट जामिया शकील एवं शिवरतन, मेकअप आर्टिस्ट सचिन गुप्ता थे तो वहीं नाटक में अनमोल घुलियानी, बृजेश कुमार चौबे, प्रणव श्रीवास्तव,चंद्रभाष सिंह,करन दीक्षित,सुंदरम मिश्रा, कोमल प्रजापति,सुरेश श्रीवास्तव, अभय सिंह, आर्यन सिंह, पीयूष राय, निहारिका कश्यप,नरेंद्र पाठक, शशांक तिवारी, अनामिका रावत, सचिन सोनी, शुभम कुमार आदि कलाकरों ने अपनी-अपनी बेहतरीन भूमिका निभाई |