कानपुर । भगवान श्री राम अश्वमेध यज्ञ के अश्व को लवकुश द्वारा पकड़ने पर और लक्ष्मण, भरत शत्रुघ्न और हनुमान आदि की हार के बाद स्वयं युद्ध के लिए आए और यही लवकुश से युद्ध और बाद में पुत्र मिलन हुआ जो बिठूर का रमेल स्थान है । यह विचार कानपुर इतिहास समिति द्वारा रामलला मन्दिर रावतपुर में आयोजित श्रीराम और कानपुर विषयक गोष्ठी में वक्ताओं ने प्रकट किया गया । धर्मप्रकाश गुप्त ने कहा कि महाराजा दशरथ ने पुत्र जन्म हेतु यज्ञ कराने वाले ऋषि शृंगी को आमंत्रित किया था जिनका आश्रम कानपुर के सैबसू ग्राम में आज भी अवस्थित हैं । मुख्य अतिथि अजय त्रिवेदी जी ने कहा कि परिहर उन्नाव और बिठूर कानपुर के पुरा साक्ष्य वाल्मीकि आश्रम और लवकुश जन्म स्थान की पुष्टि करते हैं । डॉ सुमन शुक्ला बाजपेई ने कहा ऋषि वाल्मीक द्वारा प्रणीत रामायण मे श्रीराम के समय का इतिहास, भूगोल और संस्कृति की पर्याप्त जानकारी मिलती है , बिठूर में वाल्मीक आश्रम में सीता परित्याग, लवकुश पालन पोषण और अश्वमेध यज्ञ अश्व पकड़ने पर युद्ध के भी पर्याप्त प्रमाण है ।
कानपुर इतिहास समिति महासचिव अनूप शुक्ल ने कहा कि पण्डित प्रताप नारायण मिश्र ने कानपुर महात्म्य में सीता त्याग व लवकुश युद्ध पर विस्तार से लिखा है । इसके साथ ही तुलसीदास के समसामयिक विद्यापति द्वारा भूपरिक्रमण ग्रन्थ के द्वितीय अध्याय ब्रह्मावर्त विवरण में वाल्मीक आश्रम सीता प्रसव स्थल सौरि, अहिल्या कूप और परिहार कानन का वर्णन मिलता है । डॉ जितेंद्र सिंह रामायण कालीन स्थानों पर वैज्ञानिक दृष्टि से व्याख्या को प्रस्तुत किया । कवि अशोक वाजपेई ने श्रीराम पर केन्द्रित काव्यपाठ किया । डॉ समर बहादुर सिंह ने श्रीराम मन्दिर कार सेवा के दिनो की अयोध्या के आंखों देखी घटनाओं और संघर्ष का वर्णन किया । विनोद टंडन ने कठिया बाबा मन्दिर और मंदिरों के लिए नागा बाबाओं के योगदान पर प्रकाश डाला ।राहुल सिंह चंदेल ने बताया कि रावत शिव सिंह की रानी रौताइन बघेलिन ने रामलला मन्दिर की स्थापना की थी । रामलला मन्दिर की ओर से समिति के सदस्यो और वक्ताओ का स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया । इस अवसर पर महेन्द्र विष्ट, अनुराग सिंह, नितिन प्रजापति,अजय कुमार, युवराज सिंह गौरव, सुशील मिश्र, राकेश वर्मा पवन अवस्थी, पार्थो राव चौधरी आदि उपस्थित रहे ।