राजकमल प्रकाशन समूह द्वारा लखनऊ स्थित अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान में आयोजित ‘किताब उत्सव’ के दूसरे दिन का पहला सत्र आधुनिक अवधी कविता विषय पर केंद्रित रहा। इस सत्र में अमरेन्द्र त्रिपाठी और प्रकाश चंद्र गिरी ने अवधी भाषा के स्वरूप और साहित्य पर वक्तव्य दिया। सत्र का संचालन अनमोल मिश्र ने किया। इस सत्र में अमरेन्द्र त्रिपाठी ने अवधी कविता के उदाहरणों के माध्यम से अवधी समाज के विभिन्न संदर्भों पर बात की।उन्होंने श्रोताओं से अपील की सभी लोग अवधी भाषा से जुड़ें। मां, मातृभाषा और मातृभूमि से हमेशा जुड़ाव होना चाहिए। राम की भाषा अवधी है। राम को अवधी से अलग नहीं करना चाहिए। रामकथा अवधी में है।
प्रकाश चंद्र गिरी जी ने लखनऊ में किताब उत्सव के आयोजन हेतु राजकमल प्रकाशन समूह का धन्यवाद ज्ञापन किया। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि अवधी शब्द अयोध्या से ही बना है। अयोध्या के इर्द गिर्द बोले जाने वाली भाषा अवधी है। गिरी जी ने पद्मावत और रामचरितमानस को विश्व की चुनिंदा कृतियों की श्रेणी में बताया।
कार्यक्रम का संचालन अनमोल मिश्र ने किया।
अगला सत्र राकेश कबीर के कविता संग्रह ‘तुम तब आना’ के लोकार्पण का रहा। इस सत्र में मुख्य वक्ता रविकांत चंदन, अध्यक्ष राकेश बेदा, विशिष्ट अतिथि पवन, बी आर विप्लवि उपस्थित रहे। सभी वक्ताओं ने सारगर्भित ढंग से राकेश कबीर की कविताओं पर बात की। इस सत्र में राकेश कबीर ने अपने नए कविता संग्रह से कविताएं भी पढ़ीं।
किताब उत्सव के दूसरे दिन के तीसरे सत्र में राजकुमार सिंह के कविता संग्रह ‘उदासी कोई भाव नहीं है’ का लोकार्पण हुआ। लोकार्पण सत्र में दैनिक जागरण के उत्तर प्रदेश के राज्य संपादक आशुतोष शुक्ल और नवभारत टाइम्स, लखनऊ के संपादक मो. नदीम उपस्थित रहे। सत्र के शुरुआत में राजकुमार सिंह ने अपने लेखन प्रक्रिया पर बात की। उन्होंने कहा कि यह कविताएं दिल से लिखी गई हैं|
सत्र के पहले वक्ता मो. नदीम जी ने कहा कि जो कल्पना शील होता है, वही कवि होता है। हजार शब्दों का लेख नहीं, एक छोटी सी कविता आपके दिलों पर असर कर जाती है। उदासी कोई भाव नहीं एक संवेदनशील कवि ही लिख सकता है। अगले वक्ता और दैनिक जागरण के राज्य स्तरीय संपादक आशुतोष शुक्ल जी ने कहा कि मैं कवि को ईश्वर का प्रतिनिधि मानता हूं। कविता लिखी नहीं जाती, वह अपने आप उतरती है। राजकुमार सिंह का कविता संग्रह राजकमल प्रकाशन से छप कर आया है, यह हम सबके लिए गर्व की बात है। पुस्तक का कलेवर बहुत सुंदर है। सत्र के अंतिम में राजकुमार सिंह ने अपने नए कविता संग्रह से कुछ कविताओं का पाठ किया।
किताब उत्सव के दूसरे दिन का चौथा सत्र ‘पोस्ट ट्रुथ का दौर’ विषय पर केंद्रित रहा। इस सत्र में वरिष्ठ पत्रकार नसीरुद्दीन हैदर खान, नवीन जोशी और नागेंद्र जी मौजूद रहे। नागेंद्र जी ने कहा कि सोशल मीडिया हाथ का खिलौना है। उन्होंने कहा कि जो भी विश्वसनीयता बची है वह अखबारों में ही है। हम हर उस चीज पर भरोसा करने लगे हैं जो हमें पीछे धकेलती है। नसीरुद्दीन हैदर खान ने कहा कि सोशल मीडिया बेआवाजों की आवाज है। सच झूठ के बराबर नहीं फैलता। जबतक किसी खबर के पीछे का सच पता चलता है तबतक झूठ बहुत नुकसान कर चुका होता है। पोस्ट ट्रुथ विशुद्ध राजनीतिक विचार के लिए यहां प्रसारित किया गया।
आलोक पराड़कर ने कहा कि पोस्ट ट्रुथ के दौर में जो सबसे अधिक स्वीकार किया जाता है वह है बहुमत।
नवीन जोशी ने कहा कि बहुमत से आप लोकतांत्रिक व्यवस्था तो चला सकते हैं, लेकिन सच को छुपा नहीं सकते। नागेंद्र जी ने कहा कि पहले तथ्यों की पड़ताल के साथ अखबार निकलते थे।
अगला सत्र में विपिन गर्ग की किताब ‘चलो टुक मीर को सुनने’ का लोकार्पण हुआ और उनसे इस किताब पर सलमान जी ने बातचीत की। सत्र का संचालन अपूर्व अवस्थी ने किया।