उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग के अंतर्गत आने वाला उत्तर प्रदेश राजकीय अभिलेखागार अपने विभाग के 76वें स्थापना दिवस के अवसर पर ”1857 का स्वतंत्रता संग्राम” विषय अभिलेख प्रदर्शनी आयोजित कर रहा है जिसमें देश के क्रांति इतिहास से जुड़े अहम दास्तावेज आम जनता को दिखाए जाएंगे| इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पुनर्वास विश्वविद्यालय लखनऊ के इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो अविनाश चंद्र मिश्रा के साथी ही अनेक शैक्षिक संस्थानों के सुयोग्य वक्ता शिरकत करेंगे|
कार्यक्रम के संबंध में ‘जनमानस न्यूज़’ के संवाददाता शाश्वत श्रीवास्तव ने उत्तर प्रदेश अभिलेखागार के शिव कुमार यादव से खास वार्ता की है|
प्रश्न 1. पिछले 75 वर्षों में विभाग की प्रमुख उपलब्धियाँ क्या रही हैं ?
उत्तर 1. विभाग ने महात्मा गाँधी जयंती, चंद्रशेखर आज़ाद जयंती, अटल बिहारी वाजपेयी जयंती और उत्तर प्रदेश दिवस जैसे कई ऐतिहासिक मौकों पर लगभग 25–30 कार्यक्रम आयोजित किए हैं। हर जिले के जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर जन-जागरूकता बढ़ाने की कोशिश हमारे विभाग द्वारा की गई है। हमारे प्रयासों के चलते पिछले 2 वर्षों में विभाग से जुड़े शोध छात्रों की संख्या 200–300 तक पहुँच गई है, जो बढ़ती रुचि का संकेत है।
प्रश्न 2. 75वें स्थापना दिवस के इस कार्यक्रम में क्या कुछ विशेष है और कार्यक्रम की रूपरेखा क्या है ?
उत्तर 2. कार्यक्रम 2 मई को सुबह 11 बजे शुरू होगा और दोपहर 3 से 4 बजे तक चलेगा।इसमें शोध पत्रों की प्रस्तुति, वक्ताओं के भाषण, और अभिलेख प्रदर्शनी शामिल होगी। शोध पत्रों का प्रकाशन भी संस्थान द्वारा बाद में कराया जाएगा |
प्रश्न 3. आम लोग या शोधकर्ता इस कार्यक्रम से कैसे जुड़ सकते हैं?
उत्तर 3. कार्यक्रम मुख्य रूप से शोधकर्ताओं के लिए है, लेकिन आम लोगों को भी आने से रोका नहीं गया है। अगर कोई जुड़ना चाहता है, तो उसका स्वागत है। कार्यक्रम की जानकारी फेसबुक और अन्य माध्यमों से साझा की जा रही है।
प्रश्न 4. इस बार का मुख्य विषय “1857 का स्वतंत्रता संग्राम” क्यों चुना गया ?
उत्तर 4. इस विषय का चयन इसलिए किया गया है क्योंकि यह भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का प्रारंभिक और महत्वपूर्ण अध्याय है। इसके अभिलेखों के ज़रिए छात्रों और शोधकर्ताओं को उस समय की घटनाओं की गहराई से जानकारी दी जा सकेगी। साथ ही राष्ट्र के क्रांति पक्ष को जानने की जिज्ञासा इन दोनों ना सिर्फ शोधर्थियों बल्कि आम जनमानस में भी प्रबल है|
प्रश्न 5. क्या कोई विशेष दस्तावेज़ पहली बार प्रदर्शित किया जाएगा?
उत्तर 5. हाँ, एक ऐसे व्यक्ति की फाइल जो भगत सिंह के साथ जुड़ा था, बहुत मेहनत से खोजी गई और भावुक कर देने वाली है। साथ ही ऐसे कुछ और दुर्लभ दस्तावेज़ों को पहली बार जनता के सामने लाया जाएगा। विश्वविद्यालय के शोध छात्रों को अपने शोध प्रस्तुत करने का मौका मिलेगा और उन्हें अभिलेखों की गहराई से जानकारी प्राप्त होगी। इससे शोध की गुणवत्ता में भी सुधार होगा और नए विषयों पर काम करने का मौका मिलेगा।
प्रश्न 6. क्या भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे ?
उत्तर 6. हाँ, विभाग का उद्देश्य ऐसे और कार्यक्रमों के ज़रिए शोध और जन-जागरूकता को बढ़ावा देना है।
पिछले एक साल में 25 से अधिक आयोजन इसका प्रमाण हैं।