कल रविवार शाम गोविन्दनगर कानपुर में काकोरी ट्रेन एक्शन पर केन्द्रित उर्दू किताब “काकोरी डकैती” का लोकार्पण कानपुर इतिहास समिति द्वारा किया गया। कानपुर इतिहास समिति के महासचिव अनूप कुमार शुक्ल ने कहा कि मौलाना हसरत मौलवी फ़ाज़िल लखनवी द्वारा लिखा लघु उपन्यास काकोरी डकैती, काकोरी केस की कार्यवाहियों के दौरान वर्ष 1925 में लिखा गया था| मूल रूप से उर्दू के इस उपन्यास को मूल पाठ के साथ हिन्दी अनुवाद में प्रस्तुत किया गया है| काकोरी ट्रेन एक्शन में एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई थी यह उपन्यास उसी घटना से शुरू हुआ है।
वरिष्ठ पत्रकार महेश शर्मा ने कहा कि काकोरी ट्रेन डकैती (काकोरी षड्यंत्र प्रकरण) एक ट्रेन डकैती थी जो लखनऊ के पास काकोरी नामक गाँव में 9 अगस्त 1925 को हुई थी। हर्षित सिंह ने कहा कि भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान हुई थी। कुणाल सिंह ने कहा कि इसे हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) के भारतीय क्रांतिकारियों द्वारा आयोजित किया गया था। क्रांति कुमार कटियार ने कहा कि काकोरी ट्रेन एक्शन क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाकउल्ला खान ने बनाई थी जो एचआरए के सदस्य थे, जो बाद में हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन बन गया।
डॉ जितेन्द्र सिंह ने कहा कि इस संगठन की स्थापना स्वतंत्रता प्राप्त करने के उद्देश्य से ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ क्रांतिकारी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए की गई थी। चूंकि संगठन को हथियार खरीदने के लिए धन की आवश्यकता थी, इसलिए बिस्मिल और उनकी पार्टी ने एक ट्रेन लूटने की योजना बनाई। डॉ नीलम शुक्ला ने कहा कि काकोरी ट्रेन डकैती में कानपुर से सुरेशचन्द्र भट्टाचार्य ,रामदुलारे त्रिवेदी, राजकुमार सिन्हा गिरफ्तार हुए थे।
जनमानस न्यूज़ के संपादकीय निदेशक प्रखर श्रीवास्तव ने कहा कि काकोरी ट्रेन एक्शन योजना को राम प्रसाद बिस्मिल,अशफाक उल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी, चंद्रशेखर आज़ाद, शचींद्र बख्शी, केशव चक्रवर्ती, मन्मथनाथ गुप्ता, मुकुंदी लाल, मुरारी लाल खन्ना और बनवारी लाल जैसे कई क्रांतिकारियों ने अंजाम दिया। जबकी इस घटना की रणनीति तैयार करने में गणेश शंकर विद्यार्थी के प्रताप समाचार पत्र में उप संपादक रहे सुरेश चंद्र भट्टाचार्य की अहम भूमिका थी। शुभम त्रिपाठी ने बताया मुकदमा दो चरणों में चला ‘काकोरी षडयंत्र केस’ और ‘पूरक केस’ । दिसम्बर, 1925 से अगस्त, 1927 तक लखनऊ के रोशनुद्दौला कचहरी और फिर तत्कालीन रिंक थिएटर (जहाँ वर्तमान जी.पी.ओ. है) एवं चीफ कोर्ट आफ अवध में चले थे।
कार्यक्रम में महेश शर्मा,हर्षित सिंह, डॉ नीलम शुक्ला, डॉ जितेन्द्र सिंह, प्रखर श्रीवास्तव,कुणाल सिंह, शुभम त्रिपाठी अशोक बाजपेई , मोहित मिश्र उपस्थित रहे।