हिन्दी पत्रकारिता द्विशताब्दी वर्ष पर साल भर इतिहास समिति करेगी आयोजन
हिन्दी पत्रकारिता द्विशताब्दी वर्ष सम्मान से नवाज़े गए विद्यार्थी जी के वंशज अशोक विद्यार्थी
कनपुरिया संपादक पण्डित जुगल किशोर शुक्ल ने कोलकाता से हिन्दी पत्रकारिता का आगाज़ आज से दो सौ वर्ष पूर्व उदन्त मार्तण्ड पत्र के माध्यम से किया था। इसी क्रम में हिन्दी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर कानपुर इतिहास समिति द्वारा हरि मन्दिर तिलक नगर, कानपुर में हिन्दी पत्रकारिता द्विशताब्दी वर्ष सम्मान विद्यार्थी जी के पौत्र अशोक विद्यार्थी जी को उनके निवास पर जा कर दिया गया। इस अवसर पर अध्यक्ष विश्वंभरनाथ त्रिपाठी ने कहा कि हिन्दी पत्रकारिता के जनक पण्डित जुगल किशोर शुक्ल कानपुर में जन्में और कोलकाता से उदन्त मार्तण्ड पत्र निकाला, कानपुर में उनका स्मारक बनाया जाना चाहिए। महासचिव अनूप कुमार शुक्ल ने कहा कि कनपुरिया संपादक युगल किशोर शुक्ल ने कलकत्ता से उदन्त मार्तण्ड पत्र निकाल कर हिन्दी पत्रकारिता का उद्भव किया। उसमें कानपुर के समाचार भी प्रकाशित होते थे । उन्होंने कहा कि हिन्दी पत्रकारिता द्विशताब्दी वर्ष पर पूरे वर्ष शहर भर में कई कार्यक्रम आयोजित होंगे। श्रद्धेय गणेश शंकर विद्यार्थी जी के पौत्र अशोक विद्यार्थी जी का सम्मान उसी श्रृंखला में से एक है।
शांतनु त्रिपाठी ने कहा कि उदन्त मार्तण्ड पत्र हिन्दी पत्रकारिता की नींव का वह पत्थर था जिससे बाद की पत्रकारिता आगे बढ़ी। डॉ सुमन शुक्ला बाजपेयी ने कहा कि हिन्दी का प्रथम पत्र उदन्त मार्तण्ड का प्रकाशन 30 मई,1826 ई. को कलकत्ता से एक साप्ताहिक पत्र के रूप में शुरू हुआ था। डॉ जितेन्द्र सिंह ने कहा कि उस समय के समाचार पत्र अंग्रेजी, फारसी और बांग्ला में तो अनेक पत्र निकल रहे थे किन्तु हिंदी में एक भी पत्र नहीं निकलता था। इसलिए “उदंत मार्तंड” का प्रकाशन प्रारंभ किया गया। शुभम त्रिपाठी ने कहा कि कनपुरिया संपादक पण्डित जुगल किशोर शुक्ल का ही साहस था जो उन्होंने तत्कालीन गवर्नर जनरल से अनुमति ले कर अहिन्दी प्रान्त में हिन्दी पत्र उदन्त मार्तण्ड शुरू किया।
प्रखर श्रीवास्तव ने कहा कि उन दिनों सरकारी सहायता के बिना, किसी भी पत्र का चलना प्रायः असंभव था। कंपनी सरकार ने ईसाई मिशनरियों के पत्र को तो डाक आदि की सुविधा दे रखी थी, परन्तु काफी प्रयास करने पर भी “उदन्त मार्तंड” को यह सुविधा प्राप्त नहीं हो सकी। हर्षित सिंह बैस ने कहा कि जुगल किशोर शुक्ल जी ने इस पत्र के बाद भी साम्यदन्त मार्तण्ड’ नामक एक दूसरे पत्र निकालने की हिम्मत जुटायी, लेकिन दुर्भाग्य से वह भी दीर्घजीवी न बन सका।
डॉ नवीन वर्मा ने कहा कि उदन्त मार्तण्ड के प्रथम प्रकाशन की तिथि ३० मई को हिन्दी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है। क्रान्ति कुमार कटियार ने कहा कि भारतीय जनसंचार संस्थान ने अपने पुस्तकालय का नाम पण्डित जुगल किशोर शुक्ल के नाम पर रखा है।
कार्यक्रम में विश्वंभरनाथ त्रिपाठी, शांतनु त्रिपाठी,अनूप शुक्ल, डॉ सुमन शुक्ला बाजपेई, शुभम त्रिपाठी,हर्षित सिंह, डॉ जितेन्द्र सिंह, डॉ नीलम शुक्ला, डॉ नवीन वर्मा,प्रखर श्रीवास्तव, क्रान्ति कुमार कटियार आदि उपस्थित रहे।