Thursday, December 26, 2024

लखनऊ में पाँच दिवसीय किताब उत्सव का हुआ शुभारम्भ

राजकमल प्रकाशन समूह द्वारा लखनऊ स्थित अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान में आयोजित ‘किताब उत्सव’ का शुक्रवार को उद्घाटन हुआ। इस दौरान प्रतिष्ठित साहित्यकार नरेश सक्सेना, अखिलेश, मोहसिन खान, वीरेंद्र सक्सेना, रमेश दीक्षित, वन्दना मिश्र और रूपरेखा वर्मा जी उपस्थित रहे।

इस अवसर पर जानेमाने सम्पादक अखिलेश ने कहा कि यह एक ऐसा उत्सव, एक ऐसा जश्न है जो आपको खुशी तो देता ही है और आपको समझ भी देता है। अगली वक्ता कात्यायनी जी ने कहा कि पढ़ने की संस्कृति को बढ़ाने के लिए राजकमल प्रकाशन ने लखनऊ में जो किताब उत्सव का आयोजन किया है, वह बहुत ही सराहनीय है। किताब उत्सव बहुत ही स्वागतयोग्य कदम है। प्रतिष्ठित उपन्यास ‘अल्लाह मियां का कारखाना’ के लेखक मोहसिन खान ने कहा कि किताबें हमारे लिए बेहद जरूरी होती हैं। मैं दुआ करता हूं कि किताब उत्सव की आवाज बहुत दूर तक जाए।

रूपरेखा वर्मा ने कहा कि राजकमल प्रकाशन समूह द्वारा यह आयोजन जिस दौर में किया जा रहा है उसमें किताबों की चिंता कोई नहीं करता। हमें हमेशा किताबों की ओर लौटना चाहिए।
प्रतिष्ठित आलोचक वीरेन्द्र यादव ने कहा कि आज के दौर में पुस्तकों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। ऐसे में जब हिंदी का सबसे बड़ा प्रकाशक इतना बड़ा किताब उत्सव करता है तो यकीनन यह सराहनीय प्रयास है। यह एक अच्छी शुरुआत है।
वन्दना मिश्र ने कहा कि यह शहर मुंशी नवल किशोर का शहर है। जिसने इतिहास बनाया है यह उसका शहर है। लखनऊ हमेशा से ही किताब प्रेमियों का शहर रहा है। किताबें हमें तो बदलती ही हैं, बल्कि पूरी दुनिया को बदलती हैं। जैसे गीतांजलि श्री के उपन्यास रेत समाधि ने एक मानक तय किया।


रमेश दीक्षित ने कहा कि किताबों की वजह से ही मैं बोलना सीख पाया। राजकमल ने विभिन्न विषयों की किताबें छापकर बहुत बड़ा काम किया है। अच्छी से अच्छी किताबें लाने के लिए यह प्रकाशक प्रतिबद्ध है। किताबों को पढ़ने का सिलसिला हमेशा चलता रहा है और चलता रहेगा।
नरेश सक्सेना ने कहा कि किताब में शब्द होते हैं, शब्द मरा नहीं और शब्द मरेगा नहीं। कविता जब बोलती है तो चोट करती है। अगर किताबों से कुछ होता नहीं है तो उसे जलाया क्यों जाता है? जबतक मनुष्य हैं, शब्द बचे रहेंगे। फेसबुक कोई संकट नहीं, बल्कि ताकत है। मैं राजकमल को बधाई देता हूं कि उन्होंने हम लेखकों को पाठकों से रूबरू होने का यह मौका दिया है। यह आवाज़ उठाने का वक्त है, आवाज उठाते रहें।
इस सत्र का धन्यवाद यापन राजकमल प्रकाशन के सीईओ आमोद महेश्वरी ने दिया।

अगला सत्र ‘हमारा शहर हमारे गौरव’ का रहा। इसमें यशपाल के लेखन और जीवन पर बातचीत की गई। इस दौरान प्रीती चौधरी ने यशपाल की रचना का अंश पाठ किया। इस सत्र में वरिष्ठ आलोचक वीरेन्द्र यादव ने यशपाल के लेखन पर वक्तव्य दिया और कुमार पंकज ने उनके जीवन के विविध पक्षों के संदर्भ में यशपाल को याद किया। कुमार पंकज ने कहा कि यशपाल गंगा जमुनी तहजीब के लेखक थे। यशपाल ने ‘क्यों फंसे’ उपन्यास समय से बहुत पहले लिख दिया था। इस सत्र का संचालन नाजिश अंसारी ने किया।

किताब उत्सव के पहले दिन का अंतिम सत्र प्रताप गोपेन्द्र की किताब ‘चंद्रशेखर आजाद’ के लोकार्पण का रहा। इस सत्र में सुभाष चंद्र कुशवाहा, सुधीर विद्यार्थी और फिरोज नकवी ने किताब का लोकार्पण किया। प्रताप गोपेन्द्र ने अपने लेखकीय वक्तव्य में चंद्रशेखर आजाद के व्यक्तित्व पर सारगर्भित वक्तव्य दिया। इस सत्र का संचालन अशोक शर्मा ने किया।

 

चंद्रशेखर आज़ाद की पितृ भूमि भौती कानपुर से श्री सतीश तिवारी एवं कवि अशोक बाजपेई पहुँचे और उन्होंने लेखक प्रताप गोपेन्द्र IPS का माल्यार्पण कर स्वागत किया और आज़ाद की पितृ भूमि को उचित सम्मान देने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया |

Advertisement
Gold And Silver Updates
Rashifal
Market Live
Latest news
अन्य खबरे