उत्तराखंड – गड़वाल मण्डल केदारनाथ के कालीमठ घाटी के कविलट्ठा गाँव की रौशनी चौहान पहाड़ी इलाके में मशरूम के साथ ही साथ जैविक फलों और सब्जियों का उत्पादन कर बेहतरीन आमदनी पैदा करने के साथ ही साथ अन्य क्षेत्रीय निवासियों को भी आत्मनिर्भर बना रही हैं| इस व्यवसाय के अतिरिक्त रौशनी की एक पहचान टूरिस्ट गाइड के रूप में भी है| रौशनी घूमने आने वाले पर्यटकों को उत्तराखंड के पर्यटक स्थलों की पौराणिक कहानियों से रूबरू कराती हैं|
हिमालय की गोद में पली बड़ी ये लड़की पर्वतीय जनजाती विकास के नए आयाम स्थापित कर रही है, जिसके लिए इन्हें कई सम्मान प्राप्त हो चुके हैं|
रौशनी मशरूम उत्पादन के अंतर्गत स्वरोजगार मिशन को गति देते हुए क्षेत्रीय लोगों इस तकनीक के प्रति प्रशिक्षण भी देती हैं| तो वहीं रौशनी नें स्वयं मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण मशरूम गर्ल नाम से चर्चित दिव्या रावत से पाया, रौशनी बताती हैं कि वो ट्रैकिंग टीम लीडर भी रहीं है उनके जीवन के प्रत्येक निर्णयों में पिता प्रदीप सिंह चौहान व माँ सुशीला देवी का सहयोग रहा है| रौशनी घर की बड़ी बिटिया होने के नाते घर की आर्थिकी संभालने में कम आयु से ही पिता की सहयोगी रही हैं|
मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण प्राप्त कर वर्ष 2016 में रौशनी नें मात्र 3000 ₹ से घर में 10 बैगों में मशरूम उत्पादन शुरू किया, जिसके एक माह बाद प्राप्त हुए 2 किलो मशरूम नें उसका हौसला इतना बढ़ाया कि वर्तमान में ये आंकड़ा प्रति माह 40 किलो से अधिक पर पहुँच गया है| जिसकी सप्लाई कोटमा, कालीमठ, गुप्तकाशी और रूद्रप्रयाग तक हो रही है|
रौशनी नें इग्नू से स्नातक की पढ़ाई की है, उसने मशरूम उत्पादन को नया आयाम दिया है, जो कि क्षेत्रीय युवाओं के स्वाभिमान संरक्षण का कारण भी बना, वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा के बचाव कार्य में भी रौशनी नें अहम भूमिका निभाई थी|