Saturday, July 27, 2024

लखनऊ की इस खोजी पत्रिका ने शिक्षाविध जगदीश गांधी का किया पर्दाफाश

लखनऊ में सिटी मोंटेसरी स्कूल की विसंगतियों की अंतहीन सूची बदस्तूर जारी है। आज हम इस बात का खुलासा कर रहे हैं कि कैसे सीएमएस की जॉपलिंग रोड शाखा में अवैध निर्माण को ध्वस्त करने के आदेश के बावजूद सिटी मोंटेसरी स्कूल चल रहा है और अधिकारियों के बीच भी देश के कानून का पालन करने और कड़ी कार्रवाई करने वाला कोई नहीं है। अप्रैल 2022 में, सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल के निर्माण और संचालन के लिए निर्धारित मापदंडों के उल्लंघन की जांच के लिए जिला-मजिस्ट्रेट के नेतृत्व वाली समिति गठित करने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सिटी मोंटेसरी स्कूल की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था। वर्तमान अपील सिटी मोंटेसरी स्कूल, लखनऊ द्वारा दायर की गई थी, जो कथित तौर पर बिना किसी उचित सुविधाओं के और टिन-शेड के नीचे एक अस्थायी संरचना के साथ चल रहा था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय, लखनऊ पीठ ने गिरधर गोपाल के माध्यम से गोमती रिवर बैंक रेजिडेंट्स द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर कथित उल्लंघन का संज्ञान लिया था, और यह जांचने के लिए जिला मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया था कि क्या ये स्कूल आवश्यक दिशानिर्देशों का अनुपालन कर रहे हैं। वहां पढ़ने वाले छात्रों की संख्या. याचिकाकर्ता ने बताया कि कुल 16 ऐसे स्कूल भवन उपनियमों और निर्धारित दिशानिर्देशों के कथित उल्लंघन के साथ चल रहे हैं।

न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। गोमती नदी तट के निवासियों ने अन्य बातों के साथ-साथ आवासीय क्षेत्रों में की जा रही व्यावसायिक और गैर-आवासीय गतिविधियों से संबंधित जनहित में उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की। पार्किंग स्थल, फुटपाथों की बहाली, आवासीय क्षेत्रों में मास्टर प्लान के उल्लंघन में निर्माण और आवासीय क्षेत्रों से डेयरियों को स्थानांतरित करना अन्य मुद्दे हैं। रेजिडेंट एसोसिएशन ने आवासीय क्षेत्रों में चल रहे स्कूलों की संख्या के संदर्भ में यह मुद्दा उठाया है। लखनऊ के जॉपलिंग रोड पर स्थित सिटी मोंटेसरी स्कूल का भी विशेष उल्लेख किया गया। जनहित याचिका में कहा गया है कि, सिटी मोंटेसरी स्कूल को प्लॉट नंबर 55 और 55 (भाग) में मल्टीस्टोरी हाउसिंग कॉम्प्लेक्स के निर्माण की अनुमति मिल गई थी। हालाँकि, उक्त भूखंड में आवासीय परिसर के निर्माण के दौरान, एक तरफ टिन-शेड उठाया गया था और वहां स्कूल चलाया जा रहा था, जो स्कूल के निर्माण और संचालन के लिए निर्धारित मापदंडों का उल्लंघन है। अविनाश मेहरोत्रा बनाम भारत संघ और अन्य, (2009)6 एससीसी 398 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का संदर्भ दिया गया था, जिसमें माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने स्कूलों द्वारा पालन किए जाने वाले कुछ मानक निर्धारित किए थे। भारतीय राष्ट्रीय भवन संहिता, 2005 की शर्तें। यह प्रस्तुत किया गया कि स्कूल पिछले 2-3 वर्षों से किसी भी प्राधिकरण की अनुमति के बिना एक अस्थायी टिन-शेड में चल रहा है। जून, 2021 में दायर अपने जवाबी हलफनामे में प्रतिवादी संख्या 8 द्वारा भी यह स्वीकार किया गया है कि स्कूल एक अस्थायी संरचना में चल रहा है। आगे यह प्रस्तुत किया गया कि प्रतिवादी नंबर 8 द्वारा 20 अक्टूबर, 2021 के ट्रांसफर डीड के माध्यम से एक आवासीय घर खरीदा गया था। उपरोक्त घर प्लॉट नंबर 54 (भाग) पर है, जिसका क्षेत्रफल 1,378.4 वर्ग मीटर है और कवर्ड एरिया 495 वर्ग मीटर है। और द्वितीय श्रेणी का निर्माण।

फिलहाल वहां करीब 400 छात्र पढ़ रहे हैं, जो स्कूल चलाने के लिए तय मानकों का उल्लंघन है. यह उदाहरणों में से एक है, क्योंकि यह दावा किया गया है कि वर्तमान याचिका में नामित अन्य स्कूल भी इस उद्देश्य के लिए निर्धारित विभिन्न मापदंडों का उल्लंघन करते हुए चल रहे हैं। इस पर ध्यान देते हुए उच्च न्यायालय ने निरीक्षण करने के लिए एक समिति गठित करने और इस तथ्य के बारे में एक रिपोर्ट इस न्यायालय को सौंपने का निर्देश दिया कि क्या ये स्कूल अपने यहां पढ़ने वाले छात्रों की संख्या के संदर्भ में आवश्यक दिशानिर्देशों का पालन कर रहे हैं।यह भी निर्णय लिया गया कि समिति की अध्यक्षता जिलाधिकारी, लखनऊ करेंगे। इसमें वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे, जो केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, भारतीय माध्यमिक शिक्षा प्रमाणपत्र, यूपी के दिशानिर्देशों और आवश्यक मापदंडों से अच्छी तरह वाकिफ होंगे।

अग्निशमन सेवा विभाग, राज्य आपदा प्रबंधन विभाग, लोक निर्माण विभाग, उ.प्र., शिक्षा विभाग, उ.प्र., लखनऊ विकास प्राधिकरण एवं पुलिस विभाग, उ.प्र. यह स्पष्ट किया जा सकता है कि उपरोक्त प्रत्येक विभाग द्वारा नियुक्त किए जाने वाले अधिकारी वरिष्ठ स्तर के होंगे। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को सिटी मोंटेसरी स्कूल ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी, जिसने स्कूल को कोई राहत नहीं दी और उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक नहीं लगाई। 25 मार्च 2022 के आर्डर में इलाहाबाद हाईकोर्ट में यह बताया था कि एक हाउसिंग कंपलेक्स प्लॉट नंबर 55 और 55 पार्ट परमिशन दी गई थी लेकिन एक साइट पर टिन शेड में एक स्कूल शुरू हो गया और यह स्कूल जगदीश गांधी द्वारा शुरू किया गया था हाईकोर्ट ने यह माना किए स्कूल नियमों के खिलाफ कंस्ट्रक्ट की गई है और इसके खिलाफ एक्शन लेना लाजमी है उसमें यह भी कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट के नेशनल बिल्डिंग कोड ऑफ इंडिया 2005 के नियमों के अनुसार स्कूल का निर्माण नहीं किया गया और स्कूल को टेंपरेरी टीन शेड के नीचे 2-3 साल से चलाया जा रहा था जबकि उस स्कूल के लिए कोई परमिशन नहीं ली गई थी। उस समय स्कूल में जो कि बिना परमिशन के चल रही थी लगभग 400 बच्चे पढ़ाई कर रहे थे |

और यह स्कूल हर तरीके से स्कूल स्टैंडर्ड के हिसाब से नियमों का उल्लंघन करता है इसके अलावा भी कई स्कूल नियमों को ताक पर रखकर उसी क्षेत्र में चलाए जा रहे थे। कोर्ट ने अपने जजमेंट में यह कहा कि यह सभी मुद्दे विचाराधीन होने चाहिए और सबसे जरूरी है कि जिस पर आवासीय भूखंड आवंटित करने के बाद उस पर स्कूल कैसे शुरू हुआ और इसके लिए कोई अनुमति नहीं ली गई इससे जो 400 बच्चे वहां पर पढ़ रहे हैं उनके जीवन पर एक खतरा मंडरा रहा है अगर कोई अप्रिय घटना हो जाती है तो इसकी जिम्मेदारी पूरी तरह सरकार की होती है और इसीलिए सरकार को देखना होगा कि कोई भी स्कूल अगर चल रहा है तो वह सभी नियम का पालन कर रहे हैं या नहीं। सिटी मोंटेसरी स्कूल के अलावा जो उसे स्कूल थे जिनको भी हाईकोर्ट ने चिन्हित किया और यह बताया कि लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी को इन सब स्कूलों पर भी एक उचित निरीक्षण करने की जरूरत है इन स्कूलों में प्राइमरी स्कूल जॉपलिंग रोड, स्टार मोंटेसरी स्कूल, लिटिल मिलेनियम स्कूल वसंत कुंज, अल हुदा मॉडल स्कूल, सिटी मोंटेसरी स्कूल बटलर कॉलोनी, रेड हिल स्कूल गोखले विहार, लखनऊ पब्लिक कॉलेजिएट जॉपलिंग रोड, टीचर इंस्टिट्यूट डाली बाग, किडजी गैलेक्सी एजुकेशन डाली बाग, आकांक्षा स्कूल प्रमोदिनी जूनियर हाई स्कूल, माय स्कूल प्रीस्कूल, पर्पल टर्टल स्कूल, यूरोकिड्स प्रीस्कूल, एआईआईएस लखनऊ जैसे स्कूलों पर भी एलडीए को निरीक्षण करने की सलाह दी गई और कहा गया किए स्कूल भी क्या पूरी तरीके से नियमों को मान रहे हैं कि नहीं इसकी एक रिपोर्ट तैयार की जाए। लेकिन इतने साल बीत जाने के बाद भी और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेशों पर रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट के प्रयास को अस्वीकार करने के बाद भी जमीनी स्तर पर कुछ नहीं किया गया है। यहां यह ध्यान दिया जा सकता है कि लखनऊ विकास प्राधिकरण ने जॉपलिंग रोड शाखा पर स्थिति साफ करने के लिए सिटी मोंटेसरी स्कूल को बार-बार नोटिस भेजा था, जो उस भूमि पर चल रहा था जिसका उपयोग केवल आवास परिसर के लिए किया जाना था। स्कूल ने अवैध रूप से एक टिन शेड का निर्माण किया और कक्षाएं लेना जारी रखा, जो इस उद्देश्य के लिए निर्धारित कानून के खिलाफ था और उस समय 400 से अधिक छात्रों के जीवन को खतरे में डाल रहा था, जिसका उल्लेख उच्च न्यायालय ने किया था। इसके बावजूद एलडीए के सक्षम अधिकारियों द्वारा संरचना को ध्वस्त करने की कोई कार्रवाई नहीं की गई, जैसा कि लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा भेजे गए नोटिस में बताया गया है। यह एकमात्र मामला नहीं है जहां सिटी मोंटेसरी स्कूल ने अवैध निर्माण का सहारा लिया है। यहां तक कि सिटी मोंटेसरी स्कूल की स्टेशन रोड शाखा, जिसे सिटी मोंटेसरी समूह का मुख्य कार्यालय माना जाता है, के खिलाफ भी नोटिस जारी किया गया था. यहां भी लखनऊ विकास प्राधिकरण ने सिटी मोंटेसरी स्कूल प्रशासन को नोटिस दिया है। ऐसे ही एक नोटिस के अनुसार सीएमएस को सूचित किया गया था कि सीएमएस द्वारा नवीन प्रशस्तक कार्यालय ब्लॉक के पीछे लगभग 500 वर्ग फुट पर एक चार मंजिला इमारत का अवैध रूप से निर्माण किया गया था। नोटिस से पता चलता है कि न तो एलडीए ने उस निर्माण के लिए कोई नक्शा पास किया है और न ही एलडीए अधिकारियों को उस क्षेत्र की माप लेने की अनुमति दी गई है जहां अवैध निर्माण किया गया है।

2001 में, उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद ने ऐशबाग रोड लखनऊ पर यूपीआईएल योजना में लगभग 4500 वर्ग मीटर सिटी मोंटेसरी स्कूल को एक प्रमुख भूमि आवंटित की, जिसका भूखंड संख्या जीएच 1, 2 और 3 था। यह भूमि केवल बच्चों के लिए प्राथमिक विद्यालय चलाने की शर्त पर सीएमएस को आवंटित की गई थी। गौरतलब है कि इस भूमि को सामान्य प्रक्रिया से हट कर आवंटन किया गया था और स्कूल को कोई सब्सिडी नहीं दी गई थी। संपत्ति प्रबंध अधिकारी द्वारा जगदीश गांधी को भेजे गए पत्र में यह भी लिखा गया था कि इस भूमि का उपयोग किसी अन्य कार्य के लिए नहीं किया जाएगा। जगदीश गांधी को यह भी बताया गया कि उक्त भूमि पर भवन निर्माण का नक्शा किसी भी भवन निर्माण से पहले सक्षम अधिकारी से पारित कराया जाना है। उन्होंने उस जमीन पर 2002 के अंदर ही जो मानचित्र उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद द्वारा पास किया गया था उसके विपरीत निर्माण कार्य करवा दिया और 12 अप्रैल 2002 को उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद के अधिकारी ने सिटी मांटेसरी स्कूल के प्रबंधक को कारण बताओ नोटिस जारी किया। जिसमें लिखा गया कि जो भूमि सिटी मांटेसरी स्कूल को आवंटित की गई थी उसमें अनाधिकृत निर्माण कार्य करना प्रारंभ कर दिया है। और इसको तुरंत आवास एवं विकास परिषद अधिनियम 1965 के अंतर्गत हटाना अपेक्षित है और इसको अगर तुरंत में हटाया गया तो जो अवैध निर्माण सिटी मोंटेसरी स्कूल द्वारा किया गया है उसको क्यों ना गिरा दिया जाए। इसके बावजूद डॉक्टर जगदीश गांधी द्वारा इस संदर्भ में कोई कार्यवाही नहीं की गई। क्योंकि डॉक्टर जगदीश गांधी की मंशा कभी थी ही नहीं कि अवैध निर्माण को तोड़ा जाए। इससे यह साबित होता है कि डॉक्टर जगदीश गांधी ने जानबूझकर अपने आवंटित भूमि पर अवैध निर्माण करवाया और वह चाहते थे कि यह आवंटित भूमि पर अवैध निर्माण रहे इस को ध्वस्त किया जाए और इस कारण से उन्होंने आवास विकास परिषद द्वारा भेजे गए चिट्ठी का कोई जवाब दिया ही नहीं। सिटी मांटेसरी स्कूल की तरफ से कोई कार्यवाही ना होने के बाद उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद अधिशासी अभियंता निर्माण खंड द्वारा 21 अगस्त 2003 को एक नोटिस भेजा गया जिसमें सिटी मोंटसरी स्कूल को तुरंत अवैध निर्माण ध्वस्त करने को कहा गया। इस पत्र के अनुसार स्वीकृत मानचित्र के विरुद्ध बिना अनुमति अवैध निर्माण किया सरल शमन योजना 2002 के अंतर्गत कार्यवाही आरंभ करने के लिए सिटी मोंटसरी स्कूल को कहा गया जो कि उन्होंने कभी किया ही नहीं। इस नोटिस में यह भी कहा गया कि अग्निशमन विभाग से वांछित प्रमाण पत्र कभी जमा ही नहीं किया गया। इस संबंध में मुख्य अग्निशमन अधिकारी चिट्ठी लिखी जिसके द्वारा विद्यालय भवन में अग्नि सुरक्षा से संबंधित व्यवस्था नहीं की गई है। और इस वजह से सिटी मोंटेसरी स्कूल के इस ब्रांच में पढ़ने वाले बच्चों के लिए एक बहुत बड़ा खतरा बना हुआ है। अधिशासी अभियंता ने यह भी लिखा की कोई अवैध निर्माण नहीं होना चाहिए। फायर टेंडर के आवागमन के लिए 6 मीटर चैड़ा मार्ग बिल्डिंग के चारों होना चाहिए परंतु सिटी मोंटेसरी स्कूल में सेट मैक्स के लिए निर्मित अवैध निर्माण को हटाने की कार्यवाही की सूचना कभी दी नहीं गई और इस वजह से उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद कभी भी इस को ध्वस्त करने का आदेश दे सकती हैं। उसमें सिटी मांटेसरी स्कूल स्कूल को साफ साफ शब्दों में बता दिया गया कि क्योंकि अभी तक स्कूल की तरफ से ना कोई कार्यवाही की गई और ना ही सरकारी पत्रों का जवाब दिया गया। इसलिए अगर मानचित्र के अलावा कोई भी निर्माण किया गया है तो उसे खुद ही 30 दिनों के अंदर अवैध निर्माण को तोड़ दे नहीं तो परिषद इसे तोड़ देगा और दंडात्मक कार्यवाही भी की जाएगी। 2 साल बीत जाने के बाद भी 2005 तक चिट्ठियों का जवाब दिया गया ना ही अवैध निर्माण को तोड़ा गया जब सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का। नाही उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद ने 4 साल बीत जाने के बाद भी कोई दंडात्मक कार्यवाही की गई ना ही अवैध निर्माण को तोड़ा गया। डॉक्टर जगदीश गांधी को बार-बार चिट्ठियों के माध्यम से नोटिसो के माध्यम से यह बताया गया कि आप अवैध निर्माण कर रहे हैं लेकिन इसको तोड़ने का आदेश या फिर नियमों के उल्लंघन के लिए परिषद ने कोई भी एक्शन नहीं लिया। 8 अगस्त 2005 को उत्तर प्रदेश एवं विकास परिषद ने एक नोटिस फिर से जारी की जिसमें साफ साफ शब्दों में सिटी मोंटेसरी स्कूल को बता दिया गया की ऐशबाग रोड लखनऊ के ब्रांच में अवैध निर्माण की शिकायत कई बार डॉक्टर जगदीश गांधी और सिटी मोंटेसरी स्कूल को की गई लेकिन कभी कोई कार्यवाही उस पर नहीं हुई। साथ में यह भी बताया गया अनुमोदित मानचित्र के विपरीत निर्माण कार्य को गिरा देने तथा यह बताने का भी अवसर कई बार दिया गया की निर्माण को गिरा देने का आदेश क्यों न दिया जाए लेकिन कभी भी इसका कोई जवाब ना डॉक्टर जगदीश गांधी और ना ही सिटी मोंटेसरी स्कूल द्वारा दिया गया। नोटिस में अनाधिकृत निर्माण को गिराने के लिए 15 दिन का वक्त सिटी मांटेसरी स्कूल को दिया गया। लेकिन इस पर कार्यवाही कभी हुई ही नहीं। चिट्ठियों का खेल चलता रहा नोटिस पर नोटिस भेजे गए लेकिन डॉक्टर जगदीश गांधी के रसूख की वजह से कोई कार्यवाही नहीं की गई। अलीगंज योजना में स्थित मड़ियावा सिमेट्री से सटी हुई सेक्टर ओ की ग्रीन बेल्ट पर भी अवैध निर्माण किया जबकि वह पुरातत्व विभाग की जमीन थी। लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा सोशल फॉरेस्ट्री के अंतर्गत इस भूमि पर वृक्षारोपण का प्लान था। न तो किसी विभाग ने अवैध अतिक्रमण पर ध्यान दिया और न ही अधिकारियों द्वारा अवैध रूप से बनी दीवार को तोड़ने के आदेश दिए गए। कानून के अनुसार जहां सरकारी भूमि पर अतिक्रमण किया गया है, वहां अपराध करने वाले व्यक्ति को प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा दोषी ठहराए जाने पर, ऐसे प्रत्येक अपराध के लिए एक वर्ष की कैद या कम से कम जुर्माने से दंडित किया जाएगा। पच्चीस हजार रुपये या दोनों। यहां यह बताना भी सार्थक होगा कि यह जमीन क्षेत्र में प्राथमिक विद्यालय चलाने के लिए जगदीश गांधी को आवंटित की गई थी, लेकिन धीरे-धीरे गांधी ने स्कूल को एक विशाल परिसर में बदल दिया, जहां अधिकारियों की नाक के नीचे 12वीं कक्षा तक कक्षाएं चल रही हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि लखनऊ विकास प्राधिकरण भी जगदीश गांधी के कृत्यों की ओर से आंखें मूंदकर उनके अवैध कार्यों के प्रति ढुलमुल रवैया अपना रहा है। रिपोर्टों के अनुसार सीएमएस की इंदिरा नगर शाखा जिन तीन भूखंडों पर स्कूल चलाया जाता है उनमें से एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी आर.बी. पाठक का है, जिनके घर को उनकी अनुमति के बिना चार मंजिला स्कूल भवन बनाने के लिए ध्वस्त कर दिया गया था। स्कूल ने अग्निशमन विभाग की एनओसी प्राप्त करते समय अपनी छात्र संख्या 600 होने का दावा किया, अपनी वेबसाइट पर 1,100 छात्रों का दावा किया, और विध्वंस के खिलाफ स्टे प्राप्त करते समय अदालत में 1,731 छात्रों का दावा किया। इतना ही नहीं, इसकी 18 शाखाओं में से केवल कुछ के पास अग्निशमन विभाग से एनओसी है, जो एक अनिवार्य आवश्यकता है, बाकी इसके बिना ही काम कर रही हैं। सीएमएस की नवीनतम गोमती नगर एक्सटेंशन शाखा के पास भी अवैध निर्माण के खिलाफ लखनऊ विकास प्राधिकरण में एक मामला लंबित है।

Source : Drishtant Click for more

 

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