Report by – SHIKHAR ASHOK
25 जून 1975, विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहे जाने वाले देश में लोकतंत्र गहरी नींद में सोने जा रहा था. ये नींद इतनी लम्बी होगी ये किसी ने नहीं सोचा था. अंततः 21 मार्च 1977 को 21 महीने की गहरी नींद के बाद ये जागा पर इसके जागने की खबर का खुलासा इससे पहले वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर कर चुके थे.
दरअसल एक दिन कुलदीप नैयर पंजाब में अपने एक मित्र से मिलने गए जो एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी थे. उनके मित्र ने उन्हें टिप दी कि इमरजेंसी हटने वाली है जब नैयर ने उनसे पूछा कि उन्हें ऐसा क्यूँ लगता है कि इमरजेंसी हटने वाली है तो उनके मित्र ने उन्हें बताया की सरकार पुलिस से चुनाव जीत सकने वाले कैंडिडेट्स की लिस्ट मांग रही हैं.
इस खबर की पुष्टि के लिए नैयर दिल्ली आ गए, उन्हें ये समझ नहीं आ रहा था कि इस खबर की पुष्टि कौन करेगा. कुलदीप नैयर हाल ही में जेल से छुट कर आये थे वो जानते थे कि सरकार में किसी आदमी से पूछा तो फिर जेल जाना पड़ सकता है. उन दिनों वह इंडियन एक्सप्रेस अखबार के लिए काम किया करते थे. इमरजेंसी के दौरान अखबार के बोर्ड में कुछ फेरबदल हुए थे और “कमलनाथ”(कांग्रेसी नेता) को अखबार के बोर्ड में शामिल किया गया था. कुलदीप नैयर पंजाबी होने के नाते भी कमलनाथ को अच्छी तरह से जानते थे.
एक दिन सुबह वह कमलनाथ के यहाँ नाश्ते पर पहुँच गए और बातों ही बातों में कमलनाथ से पूछा कि मुझे पता है की तुम तो छिंदवाडा से चुनाव लड़ रहे हो ये बताओ संजय गाँधी कहाँ से चुनाव लड़ेगे. कमलनाथ जो कि संजय गाँधी के बहुत अच्छे मित्र थे कुलदीप नैयर की इस चालाकी को नहीं समझ पाए और कह बैठे कि वो अहमदाबाद से चुनाव लड़ सकते है. कमलनाथ के इतने कहते ही ये साफ़ हो गया की देश में जल्द ही चुनाव होने वाले है और इमरजेंसी हटने वाली है. इसी के साथ कुलदीप नैयर के पास इमरजेंसी हटने की एक्सक्लूसिव खबर थी जिसका खुलासा उन्होंने जल्द ही अपने अखबार किया.