पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि कार्य हेतु जल संरक्षण की महती आवश्यकता होती है, अधिक असिंचित क्षेत्र होने से पानी की कमी हो जाती है | ये स्थिति रामगढ़ और धारी ब्लॉक के कई गाँव में गंभीर थी मगर पिछले कुछ समय से इन ग्राम पंचायतों से जुड़े 25 गाँव में सामाजिक कार्यकर्त्ता बची सिंह बिष्ट के प्रयासों के जरिए तस्वीर बदलती नज़र आ रही है|
दरसल, बची सिंह नें क्षेत्रीय नागरिकों के एक समूह का गठन किया है, जिसका नाम है ‘ जनमैत्री ‘ जिसके जरिए पीने योग्य पानी की कमी और जल श्रोतों के सूखने से जूझ रहे लोगों नें स्वयं कमान हाथ में ली और अपनी निजी जमीनों में आर्थिक व्यय और श्रम बाटतें हुए, संकड़ो लीटर जल रोकने की क्षमता वाले टैंकों का निर्माण किया|
संगठन द्वारा रामगढ़ ब्लॉक की पाँच ग्राम पंचायतों के 15 और धारी के चार ग्राम पंचायतों के 10 गाँव में 10 हज़ार लीटर से अधिक पानी रोकने की क्षमता वाले 650 टैंक बनाए गए, जिनमें कुल करीब 2 करोड़ लीटर पानी सुरक्षित हो जाता है |
परिणाम स्वरुप अब क्षेत्र वासियों के कृषि संबंधी समस्याओं के निराकरण के साथ ही साथ यहाँ के लोग मछली पालन जैसे व्यवसाए से भी जुड़ गए | इस प्रकार ‘जनमैत्री’ संगठन ना सिर्फ पहाड़ी लोगों को पलायान से रोक रहा है बल्कि उन्हें जल संरक्षण जैसे मुद्दे पर जागरूक भी कर रहा है| 400 सदस्यों से शुरू इस संगठन में अब हर उम्र के 5 हज़ार से अधिक कार्यकर्त्ता शामिल हैं |
बची सिंह बिष्ट नें जनमैत्री संगठन के माध्यम से जल संचय – जीवन संचय अभियान और रामगढ़ नदी पुनर्जीवन अभियान भी चलाया है, बिष्ट कहते हैं कि खेती और घर की जरूरत जितना पानी प्रत्येक घर को खुद बचाने की जरूरत होगी, जल श्रोतों पर दबाव कम करने का यही उपाए बचा है |
बची सिंह बिष्ट जी को राज्य सरकार ने भुखमरी के खिलाफ अभिनव प्रयास के लिए एसडीजी गोलकीपर अवार्ड 2021 से सम्मानित किया था|