वर्ष 1925 में कानपुर नगर की प्रथम तहसील बिल्हौर के जौहरी परिवार द्वारा क्षेत्र में एक विशाल मंदिर की स्थापना की जहाँ सर्वप्रथम हनुमान जी की मूर्ति स्थापित की गई थी, जिसके 42 साल बाद 1967 में यहाँ राम जी की मूर्ति स्थापित की गई और उसके 6 साल बाद वर्ष 1974 में सिंहवाहिनी देवी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई |
लम्बे समय से मंदिर से बड़ी तादात में क्षेत्रीय लोगों की मान्यताएं एवं आस्थाएं जुड़ी हुई हैं | मंदिर की देख रेख जौहरी परिवार के लोग ही करते आ रहे हैं | जौहरी वंश के ही स्व• अरुण कुमार जौहरी ने आज से 27 साल पहले वर्ष 1998 के जनवरी माह में यहाँ भगवान चित्रगुप्त जी की मूर्ति स्थापित की जो कि क्षेत्र के कायस्थ समाज के लिए वरदान साबित हुई | इस परिवार ने शिक्षा के क्षेत्र में भी सामाजिक योगदान देने हेतु मंदिर के निकट ही एक विद्यालय की शुरूवात की जो आज भी बेहतर रूप से संचालित हो रहा है|
मंदिर के 50 वर्षीय पुजारी सुनील कुमार शुक्ला ने विशेष बात-चीत में हमें बताया की चित्रगुप्त जी की स्थापना उनके सामने ही हुई थी, वे बताते हैं कि मंदिर में नवरात्री व जन्माष्टमी का पर्व बेहद उत्साह से प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है, इसी के साथ ही चित्रगुप्त जी की पूजा अर्चना व कलम पूजन के लिए काफी भक्त मंदिर पहुँचते हैं |