पवन हंस और आरआईएनएल सहित सरकारी कंपनियों को बचाने के लिए 1.5 अरब डॉलर के राहत पैकेज की योजना; 9 कंपनियों का निजीकरण टला
महत्त्वाकांक्षी विनिवेश योजना को धीमा कर केंद्र सरकार अब बीमार पड़ी सरकारी कंपनियों में मोटा निवेश कर रही है। सरकार से जुड़े सूत्रों और रॉयटर्स को मिले एक दस्तावेज से पता चलता है कि व्यापार में सरकार की भूमिका कम करने के लक्ष्य से इतर अब नरेंद्र मोदी सरकार सार्वजनिक कंपनियों को दुरुस्त करने पर जोर दे रही है।
2025 में एक महीने से कम समय में केंद्र सरकार ने दो सरकारी फर्मों को बचाने के लिए करीब 1.5 अरब डॉलर के राहत पैकेज की योजना बनाई है, जिन्हें वह निजी कंपनियों को बेचने के प्रयास में विफल रही है। सरकार ने कम से कम 9 सरकारी इकाइयों के निजीकरण को स्थगित करने का फैसला किया है, जिनका संबंधित मंत्रालय विरोध कर रहे थे। रॉयटर्स ने जिन दस्तावेजों को देखा है, उनमें इस निर्णय की वजह नहीं बताई गई है।
दस्तावेज के मुताबिक इन 9 कंपनियों में मद्रास फर्टिलाइजर्स, फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, एमएमटीसी और एनबीसीसी (इंडिया) शामिल हैं।आवास एवं शहरी विकास निगम को भी निजीकरण के लिए चिह्नित किया गया था, दस्तावेज के मुताबिक अब इसे नहीं बेचा जाएगा।
सरकार के धन से बहाल की जाने वाली सरकारी कंपनियों में हेलीकॉप्टर ऑपरेटर पवन हंस शामिल है। सरकार से जुड़े 2 सूत्रों ने कहा कि सरकार पवन हंस में 23 से 35 करोड़ डॉलर लगाने की योजना बना रही है, जिससे इसके पुराने बेड़ों का आधुनिकीकरण किया जा सके। इस कंपनी को बेचने के लिए 4 कोशिशें विफल हो चुकी हैं। एक सूत्र ने कहा कि इसमें डाली जाने वाली राशि के बारे में अभी फैसला होना है क्योंकि बेड़े के आधुनिकीकरण के विकल्पों पर विचार हो रहा है, जिसमें अधिग्रहण और पट्टे का विकल्प शामिल है।
निजीकरण की योजना या पवन हंस में निवेश को लेकर ई-मेल से मांगी गई जानकारी के बारे में वित्त और नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने तत्काल कोई जवाब नहीं दिया है। पिछले सप्ताह सरकार ने कर्ज से दबी स्टील उत्पादन कंपनी राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) के पुनरुद्धार के लिए 1.3 अरब डॉलर के पैकेज की घोषणा की थी। चालू वर्ष के बजट दस्तावेजों के मुताबिक सरकार ने सरकारी दूरसंचार कंपनी एमटीएनएल के बॉन्ड पुनर्भुगतान के लिए 2024-25 में 80 अरब रुपये आवंटित किए हैं।
निजीकरण सुस्त
निजीकरण की नीति की घोषणा के 4 साल के बाद मोदी सरकार को सिर्फ 3 सफलता मिली। इसमें टाटा समूह को एयर इंडिया बेचना सबसे बड़ी उपलब्धि थी। स्टील विनिर्माता नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड की हिस्सेदारी टाटा स्टील और फेरो स्क्रैप निगम की हिस्सेदारी कोनोइक ट्रांसपोर्ट कंपनी को बेची गई थी।
अन्य सभी बड़ी बिक्री या तो टल गई है, या उसमें देरी हो रही है। नीति में यह बदलाव इस उम्मीद के कारण था कि कुछ बड़ी सरकारी कंपनियों का कायाकल्प किया जा सकता है और उन्हें अधिक लाभदायक बनाया जा सकता है, जिससे सरकार को ज्यादा लाभांश मिलेगा।